अंगीकार की स्वतन्त्रता

अंगीकार की स्वतन्त्रता

जब मैंने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, और कहा, ‘‘मैं यहोवा के सामने अपने अपराधों को मान लूँगा,’’ तब तू ने (तुरंत) मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया। -भजन संहिता 32:5

यूहन्ना 1:9 में बाइबल हमें सिखाती है कि यदि हम अपने पापों को मान लें और उनका अंगीकार करें तो वह हमें क्षमा करेगा और सब प्रकार की अधार्मिकता से शुद्ध करेगा। अपनी सभी गलतियों को स्वतन्त्रतापूर्वक मान लेने से प्रारंभ करिए। कुछ भी पकडे़ मत रखिए। परमेश्वर और मनुष्यों के सामने उसे मान लीजिए। बहाने मत बनाइए या कहीं पर दोष मत लगाइए।

जब आप इसे करते हैं आप एक नई प्रकार की स्वतन्त्रता का अनुभव करेंगे और यीशु और लोगों के साथ आपका संबंध अधिकाई से बढ़ेगा। मैंने पाया है कि यदि मैं लोगों की दृष्टि में पड़ने से पहले अपनी गलती को मान लेती हूँ तो हममें से कोई भी उनके प्रति अधिक चिंतित नहीं होता है।

लोगों के साथ खुले रहिए। अधिकांश लोग ईमानदारी और खुलेपन की प्रशंसा करते हैं। जो चीज़ हम छुपाने का प्रयास करते हैं वही बाद में हमें हमारा शिकार करने आता है। अपने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में यीशु को निमन्त्रित करें। ऐसा महसूस न करें कि आपको अपनी गलती के विषय में उससे छुपाना चाहिए। वह तो आपके विषय में सब कुछ जानता है। वास्तव में प्रभु हमारे स्मरण करने या कभी जान पाने से अधिक जानता है और वह हमसे प्रेम भी तो करता है।

आप जो कुछ हैं केवल वही परमेश्वर को न दें परन्तु आप जो नहीं हैं वह भी परमेश्वर को दें। अपने सामथ्र्य को उसे देना आसान हैं परन्तु हमें अपनी कमज़ोरियों को भी उसे दे देना है क्योंकि हमारी कमज़ोरियों में उसकी सामर्थ्य सिद्ध होती है। कुछ भी पकड़े मत रहिए परमेश्वर को सब कुछ दीजिए! हम अभी जो हैं प्रभु केवल वही नहीं देखता है वह हम जो हो सकते हैं वह भी देखता है क्योंकि वह हमारे साथ धीरजवन्त है।

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