वह तो और भी अनुग्रह देता है (पवित्र आत्मा का सामर्थ्य, इस बुरी प्रवृत्ति और अन्य सारी चीजों से पूरी तरह से लड़ने के लिए); इस कारण यह लिखा है, “परमेश्वर अभिमानियों का विरोध करता है, पर दीनों पर अनुग्रह करता है (जो इसे प्राप्त करने के लिए पर्याप्त विनम्र हैं)।” —याकूब 4:6
सभी मनुष्यों में बुरी प्रवृत्तियां होती है, परन्तु याकूब हमें बताता है कि परमेश्वर हमें इन प्रवृत्तियों से लड़ने के लिए अधिक से अधिक अनुग्रह देगा।
मैंने मेरा अधिकांश मसीही जीवन अपने स्वयं के गलत उद्देश्यों और इरादों पर जय पाने की कोशिश में बिताया। लेकिन मेरी सारी कोशिशों से बहुत निराशा उत्पन्न हुई। मुझे नम्रता के स्थान पर आना पड़ा और यह सीखना पड़ा कि परमेश्वर नम्र लोगों को अनुग्रह देता है-अभिमानी लोगों को नहीं। वह उन लोगों की मदद करता है जो इतने विनम्र होते हैं कि उससे मांग सकें।
हम क्या हासिल कर सकते हैं, इसके बारे में हमारे अपने विचार हैं, लेकिन अक्सर हम अपने बारे में जितना हम होते हैं उससे कहीं अधिक सोचते हैं। हमें विनम्र रवैया रखना चाहिए, यह जानते हुए कि परमेश्वर से अलग होकर हम कुछ नहीं कर सकते हैं।
यदि आप अपने तरीके से योजना बना रहे हैं, चीजों को अपने शारीरिक बल पर पूरा करने का प्रयास करते हुए, तो आप निराश हो जाएंगे। आपने शायद कहा होगा, “मैं चाहे कुछ भी क्यों न करूं, तौभी कुछ भी कार्य नहीं कर रहा है!” जब तक आप परमेश्वर के अनुग्रह पर भरोसा करना नहीं सीखेंगे तब तक कुछ भी कार्य नहीं करेगा।
विश्रांति लें। परमेश्वर को परमेश्वर बने रहने दें। अपने आप पर इतना कठोर होना बंद करें। परिवर्तन एक ऐसी प्रक्रिया है जो आपको धीरे-धीरे परमेश्वर के करीब लाती है। आप आपके मार्ग पर हैं, इसलिए यात्रा का आनंद लें।
यदि आप मुक्त होना चाहते हैं, तो मानवीय प्रयासों के बदले परमेश्वर पर भरोसा रखने के लिए तैयार रहें।