अपना चेहरा देखिए

अपना चेहरा देखिए

फिर यहोवा ने मूसा से कहा, “हारून और उसके पुत्रों से कह कि तुम इस्राएलियों  को इन वचनों से आशीर्वाद दिया करना: “यहोवा तुझे आशीष दे और तेरी रक्षा  करे; “यहोवा तुझ पर अपने मुख का प्रकाश चमकाए, और तुझ पर अनुग्रह  (दया, करूणा) करे; “यहोवा अपना मुख तेरी ओर करे, और तुझे शांति  (लगातार हृदय और जीवन की शांति) दे।” -गिनती 6:22-26

रूपान्तरण के दौरान पर्वत पर यीशु का चेहरा बदल गया। हमारी परिस्थितियाँ उसी प्रकार है जैसे हम देखते हैं। ये हमारे चेहरे की ओर इशारा करता है। कलीसिया में आज हमें अपने चेहरों या मुखमण्डल के प्रति चिन्तित होने की ज़रूरत है। उन आशीषों में से जो परमेश्वर के लोगों के लिए प्रतिज्ञा की गई थी कि परमेश्वर का चेहरा उनके ऊपर चमकेगा ताकि वह अपनी ज्योति उनके मुखमण्डल पर चमकाएगा।

जब संसार हमें देखता है तो उन्हें हमारे विषय में कुछ देखने की ज़रूरत है जो उनसे अलग हो। वे हमारे मन को नहीं पढ़ सकते या हमारे हृदय को नहीं देख सकते। इसलिए हमारा चेहरा ही एक मात्र तरीका है जिससे हम उन्हें दिखा सके कि हमारे पास कुछ ऐसा है जो उनके पास नहीं है परन्तु वास्तव में जो उन्हें चाहिए और उन्हें ज़रूरत है। मैं विश्वास करती हूँ कि जब हम परमेश्वर की आराधना करते हैं तो हम अच्छे दिखते हैं। आराधना हमारे चेहरे पर एक मुस्कान लाती है। धन्यवादी होते, और परमेश्वर की स्तुति करते और परमेश्वर की आराधना करते समय चेहरे पर निराशा के भाव लाना मुश्किल है।

यदि हम लगातार इन बातों को करते हैं तो हमारा चेहरा उसकी उपस्थिती को लाएगा न कि हमारे आन्तरिक तनाव और अभिव्यक्ति। मसीहियों को आनंदित लोग होना है जो प्रेम में चलते हैं। हमें अवश्य स्वयं से पूछना चाहिए, “क्या मेरे चेहरे को देखकर अधिकांश समय लोग यह जानते हैं कि मैं एक मसीही हूँ?”

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