हे प्रभु मेरी सारी अभिलाषा तेरे सम्मुख है, और मेरा कराहना तुझ से छिपा नहीं। (भजन संहिता 38:9)।
परमेश्वर अपने वचन में कहता है कि अगर हम उसको अपने सुख का मूल जानते है तो वह हमारे मनोरथों को पूरा करता है (देखें भजन संहिता 37:4)। मुझे वो योजना पसंद है क्योंकि मैं निश्चय ही काफी साल उन बातों को प्राप्त करने की निराशा में खर्च कर चूंकि हूं जो कि मुझे पसंद थे। वस्तुओं को खोजने की प्रक्रिया में, हम अक्सर परमेश्वर को खोजने में और उसे जानने में प्रसन्न होने में असफल हो जाते है। कई साल पहले, मैंने भी इसे सेवकाई में मेरी मजबूत इच्छा के कारण होने दिया था, मैंने सोचा कि संसार में सबसे महत्वपूर्ण बात परमेश्वर के लिए सेवा करना था, पर मुझे यह सीखने की आवश्यकता थी कि यह जितना स्वयं परमेश्वर महत्वपूर्ण था उतना यह नहीं था।
क्या आप आपकी इच्छाओं को संतुलन में रख रहे और सब से ऊपर स्वयं को परमेश्वर में प्रसन्न कर रहे है? अगर नहीं, तो आप आसानी के साथ स्वयं को जो सचमुच महत्वपूर्ण है वो याद कराने के द्वारा एक सामंजस्य कर सकते है। अपनी सारी इच्छाओं को परमेश्वर के सामने रखें, जैसा कि आज की आयत हमें करने का निर्देश देती है, उस किसी भी इच्छा को हटाने के लिए परमेश्वर पर भरोसा करते हुए जो आपके लिए परमेश्वर की इच्छा नहीं है।
प्रत्येक इच्छा परमेश्वर से नहीं होती और इसलिए हर इच्छा जो हमारे पास होती वो पूरा नहीं होगी, पर हम उन इच्छाओं के पूरा होने के लिए परमेश्वर पर भरोसा कर सकते है जो हमारी भलाई के लिए होंगी। परमेश्वर चाहता है कि आप जानें कि अगर आप कुछ माँगते और यह आपको नहीं मिलता, तो यह हो सकता है कि उसके मन में आपके लिए कुछ उत्तम है। इसलिए विश्राम करें; परमेश्वर में प्रसन्न रहें; और बाकी सब उस पर छोड़ दें।
आज आप के लिए परमेश्वर का वचनः परमेश्वर की योजनाएं आपकी स्वयं के लिए योजनाओं से कहीं उत्तम होती है।