अपने मन को सही दिशा में रखना

अपने मन को सही दिशा में रखना

अपने पैरों को स्थिर रखो (जो कार्य कर रहे हो  उस पर अपना मन लगाओ)। -सभोपदेश 5:1

मैं विश्वास करती हूँ कि “अपने पैरों को स्थिर रखो,” अभिव्यक्ति का अर्थ “अपना संतुल मत खो” अथवा दिशा से बाहर मत जाओ। इस वाक्य का सरलीकरण सूचित करता है कि एक व्यक्ति जो वह कर रहा है उस पर अपने मन को स्थिर रखने के द्वारा दिशा में बना रहता है। मुझ में एक आश्चर्य करनेवाला मन था और मुझे उसे अनुशासित करने के द्वारा सिखाना था। कभी कभी मैं फिर से उसी स्थिति में आ जाती हूँ।

किसी योजना को पूरा करने का प्रयास करते हुए मैं अचानक महसूस करूँगी कि मेरा मन किसी और बात पे चला गया है जिसका उस कार्य से कोई संबंध नहीं है जिसको मैंने अपने हाथ में लिया है। मैं अब तक सिद्ध ध्यान केन्द्रियता के स्थान पर नहीं पहुँची हूँ परन्तु कम से कम मैं समझती हूँ कि अपने मन को जहाँ कहीं वह चाहता है वहाँ जाने की अनुमति नहीं देना और जब कभी वह नहीं चाहता है वहाँ जाने की अनुमति नहीं देना कितना महत्वपूर्ण है।

यदि आप मेरे समान हैं तो आप आराधना के समय कलीसिया के मध्य में बैठे होंगे और बोधक को सुन रहे होंगे और जो कुछ कहा रहा है सचमुच उससे आशीषित हो रहे होंगे कि अचानक आपका मन भटकने लगता है। कुछ समय पश्चात् आप “जाग उठते हैं” और आप पाते हैं कि आप किसी एक बात को भी स्मरण नहीं कर पा रहे हैं कि क्या हो रहा है। यद्यपि आपका शरीर कलीसिया में रहता है पर आपका मन बाज़ार में चला जाता है और घर में इस्तेमाल होनेवाली वस्तुओं की खोज कर रहा होता है।

स्मरण करें आत्मिक युद्ध में मन एक युद्धभूमि है। यही स्थान है जहाँ पर शत्रु आक्रमण करता है। वह अच्छी तरह जानता है कि यद्यपि एक व्यक्ति कलीसिया में उपस्थित है, यदि वह उन बातों पर अपने मन को स्थिर नहीं कर सकता है जो वहाँ सिखाई जा रही है, तो वह वहाँ रहने के द्वारा वास्तव में कुछ भी प्राप्त नहीं करेगा। शैतान जानता है कि एक मनुष्य अपनी किसी परियोजना को पूरा करने के लिए अपने आपको अनुशासित नहीं कर सकता है यदि वह अपने मन को अनुशासित नहीं कर सकता हैं और जो चल रहा है उस पर अपने मन को स्थिर नहीं कर रहा है।

स्मरण रखें शैतान चाहता है कि आप सोचे कि आप मानसिक रूप से कमज़ोर हैं कि आपके साथ कुछ गलत है। परन्तु सत्य यह है कि आपको अपने मन को अनुशासित करने की ज़रूरत है। उसे पूरे शहर में घूमने मत दीजिए, उसे जो अच्छा लगता है उसे करते हुए घूमने मत दीजिए। आज से “अपना कदम” स्थिर रखना प्रारंभ कीजिए कि अपने मन को उन बातों पे लगाएँ जिसे आप सीख रहे हैं। आपको कुछ समय के लिए अभ्यास करने की ज़रूरत होगी। पुरानी आदतों को तोड़ते हुए और नई आदतों को बनाने में हमेशा समय लगता है परन्तु अंत में यह लाभप्रद होता है।

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