अपने संदेह को गुलाम बनाएं

अपने संदेह को गुलाम बनाएं

सो हम कल्पनाओं को, और हर एक ऊंची बात को, जो परमेश्वर की पहिचान के विरोध में उठती है, खण्डन करते हैं; और हर एक भावना को कैद करके मसीह का आज्ञाकारी बना देते हैं। – 2 कुरिन्थियों 10:5

जब हम हमारे मनों को नए करने की प्रक्रिया आरम्भ करते है, तो यहां पर समय होंगे जब हम गड़बड़ी कर सकते है। परमेश्वर जानता है कि हम सिद्ध नहीं है और वह हमें वापस मार्ग में लाने के लिए सहायता करने के लिए वहां पर है।

खेदजनक, शैतान भी जानता है कि हम सिद्ध नहीं है, और वह मार्ग में प्रत्येक कदम पर हमें यह याद दिलाने के लिए उसका उत्तम कार्य करता है।

हम आगे बढ़ रहे, परमेश्वर की सेवा कर रहे, भला कर रहे, विश्वास में कदम बढ़ाते हो सकते है, और फिर तभी अचानक, बिना किसी इसके लिए प्रत्यक्ष औचित्य होते हुए हम एक दिन या सप्ताह के लिए हमारे मनों पर एक हमले का अनुभव करते है। शैतान हमें बताएगा कि हम असफल है, कि हम अच्छे नहीं है, कि परमेश्वर हमें प्रेम नहीं करता…सूची कभी खत्म नहीं होती है।

धन्यवाद के साथ, परमेश्वर का वचन हमें बताता है कि ऐसी स्थितियों में क्या करना है। दूसरा कुरिन्थियों 10:5 हमें बताती है कि हर भावना को कैद करना और इसे परमेश्वर की आज्ञाकारी में लाना है। इसलिए जब शैतान आप से झूठ बोलने का प्रयास करता है, तब वचन में जाएं और उस सच्चाई को खोजें जो उस झूठ का खण्डन करती है।

जब वो शंकाए आपके मार्ग में आती है, तो निराश न हो। उन्हें परमेश्वर के वचन के साथ मेल में लाएं। यह हर बार कार्य करता है!


आरंभक प्रार्थना

परमेश्वर, मैं झूठ या शंकाए जो दुश्मन मुझे मार्ग से भटकाने के लिए भेजता है उन्हें आने की अनुमति नहीं दूँगी। मैं जो आपका वचन कहता उस पर विश्वास करती हूँ और उन विचारों को गुलाम बनाती हूँ!

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