
इस कारण तुम मगन (होना चाहिए) होते हो, यद्यपि अवश्य है कि अभी कुछ दिन के लिए नाना प्रकार की परीक्षाओं के कारण दुःख में हो; और यह इसलिए है कि तुम्हारा परखा हुआ विश्वास (तुम्हारे विश्वास की उपयुक्तता), जो आग से ताए हुए नाशवान सोने से भी कहीं अधिक बहुमूल्य है, यीशु मसीह के प्रगट होने पर प्रशंसा और महिमा और आदर का कारण ठहरे। -1 पतरस 1:6-7
समझिए कि प्रत्येक बार जब आप ठोकर खाने और निराश होने के लिए परीक्षा में पड़ते हैं तो आपके विश्वास की परख होती है। पतरस कह रहा था, “उन परीक्षाओं से मत घबराओ जिनमें से आप गुज़रते हो। क्योंकि वह आपके गुणों को परखने के लिए होती हैं।” प्रत्येक संबंध की परीक्षा परमेश्वर के कार्य की महिमा करने का एक अवसर है। आपने परमेश्वर के कार्य की महिमा उन लोगों के लिए गवाही के रूप करने के लिए अवसर है जो आप को उन चीज़ों पर विजय पाते हुए देख रहे हैं।
जीवन की आँधियों से व्यवहार करने का एक सही और गलत रास्ता है। परन्तु जब तक मैं पवित्र आत्मा से भरी हुई थी और उस सामर्थ्य के बारे में सीखना प्रारंभ की जो मेरे लिए एक विश्वासी के रूप में करने के लिए उपलब्ध थी। मैंने कभी भी सही रीति से परिस्थितियों से व्यवहार नहीं किया।
यीशु का अर्थ संसार जिस अर्थ से सिखाता है उसका उल्टा है। वह कहता है कि आँधी के बीच में भी आपको शांति मिल सकती है। अब सोचिए कि यह कितना अद्भुत होगा यदि चाहे कुछ भी हो आप पूर्ण रीति से शांति से भरे हुए हों।
यीशु ने कहा, “देखो, मैंने तुम्हें साँपों और बिच्छुओं को रौंदने का, और शत्रु की सारी सामर्थ्य पर अधिकार दिया है; और किसी वस्तु से तुम्हें कुछ हानि न होगी।” (लूका 10:19) उसने प्रतिज्ञा ली कि हमें किसी प्रकार से कोई नुकसान नहीं होगा। यदि शत्रु के ऊपर हमें सामर्थ्य होगी निश्चय ही हम दूसरों की त्रुटियों को जाने देंगे। वह हमें लोगों के साथ सही व्यवहार करने के लिए ऊर्जा देगा।