और यदि (उसके) संतान हैं तो वारिस भी वरन् परमेश्वर के वारिस और मसीह के संगी वारिस हैं कि जब हम उसके साथ दुःख उठाएँ तो उसके साथ महिमा भी पाएँगें। -रोमियों 8:17
किसी भी समय हमारा शरीर एक कार्य करना चाहता है और परमेश्वर की आत्मा कुछ और करना चाहती है। यदि हम परमेश्वर की आत्मा का अनुकरण करने का चुनाव करते हैं तो हमारा शरीर दुःख भोगने जा रहा है। हम इसे पसंद नहीं करते हैं, बाइबल हमें सरलरूप से कहती है कि यदि हम मसीह की महिमा के भागिदार बनना चाहते हैं तो हमें उसके दुःखों के भागिदार बनने के इच्छुक होना चाहिए। आज्ञापालन में चलने के उन पहले के वर्षों के द्वारा दुःख को याद कर सकती हूँ जब मैंने सोचाः प्रिय परमेश्वर, क्या मैं कभी इससे छुटनेवाली हूँ? क्या मैं कभी इस बिंदु पर पहुँचूगी कि मैं परमेश्वर की मानूँ और इसे करते हुए पीड़ा न भोगू?
मैं उन लोगों को उत्साहित करना चाहती हूँ जो अभी अभी परमेश्वर की आवाज़ को सुनना सीख रहे हैं कि एक समय ऐसा आ जाए जब शारीरिक भूख का नियन्त्रण हट जाए तो वे ऐसे बिंदु पर पहुँचेंगे जहाँ पर परमेश्वर की आज्ञा मानना आसान होगा-ऐसा स्थान जहाँ पर वे वास्तव में परमेश्वर की मानने का आनंद उठाते हैं। रोमियों 8:18 पौलुस कहता है, “क्योंकि मैं समझता हूँ कि इस समय के दुःख और क्लेश उस महिमा के सामने, जो हम पर प्रगट होनेवाली है, कुछ भी नहीं है।” आधुनिक भाषा में पौलुस कहता है कि “हम अब कम पीड़ा भोगते हैं परन्तु क्या हमारी आज्ञाकारिता से जो महिमा मिलनेवाली है इससे कहीं बढ़कर है जो दुःख अब हम सहते हैं।” यह एक शुभसंदेश है। हम चाहे किसी भी परिस्थिती से होकर गुज़रें वह उस भली बातों की तुलना में कुछ भी नहीं है जो परमेश्वर हमारे जीवनों में करने जा रहा है जब हम उसके साथ लगातार बने रहते हैं।