
‘‘हे सब परिश्रम करनेवालो और बोझ से दबे हुए लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूँगा।” मत्ती 11:28
जितना अधिक हम प्रभु को जानते हैं उतना अधिक हमें तनाव रहित होना चाहिए। जब हम परिस्थितियों का सामना करते हैं जो हमारी शांति को चुरा लेती है। परमेश्वर के साथ पहले का अनुभव बहुमूल्य है क्योंकि हम सीखते हैं कि किसी प्रकार वह हमेशा पास आता है। प्रत्येक बार जब हम एक नई विपत्ति का सामना करते हैं हम स्मरण कर सकते हैं कि चाहे वह ठीक वैसा न करे जैसा हम चाहते हैं कि वह करे। उसने हमेशा ऐसा कुछ किया जिसका परिणाम हमने देखा। परख के समय तनावरहित होना परमेश्वर के साथ हमारी शांति बनाए रखने में सहायता करता है।
नए विश्वासी जिनके पास व्यक्तिगत उदाहरण नहीं है जिस पर वे परमेश्वर में अपने परिचय को बनाए। उन्हें अवश्य ही उन उदाहरणों पर अधिक आश्रित होना चाहिए जो बाइबल में विश्वासयोग्यता के उदाहरण है। अन्य विश्वासियों की गवाहियाँ उन्हें बहुतायत से उत्साहित कर सकती है। स्मरण करिए यीशु ने कहा कि हमें उसके पास आना है जब हम हमारे सामने समस्याएँ है और वह हमें विश्राम देगा।
यीशु चाहता है कि हम एक तनावरहित स्थिति में रहें। तनाव, तंगी में, चिंता में, कल आज और कल के विषय में व्याकुलता में नहीं। हमें अनुमान लगाना है कि क्या कर सकते हैं और कारणों को छोड़ सकते हैं। और प्रभु नहीं चाहता है कि हम अन्य लोगों के साथ निराश हों जो वह नहीं कर रहे हैं जो हम चाहते हैं कि वे करें।
यीशु चाहता है कि हम उस पर भरोसा करें और विश्राम करें। मैं इसे अलौकिक रूप से तनावरहित होना कहती हूँ क्योंकि प्राकृतिक रूप से यह सीखने में हमें कठिनाई हो सकती है कि किस प्रकार या आराम करने का समय पाना है। परन्तु जब परमेश्वर हमारे प्राकृतिक में अपनी अलौकिकता जोड़ता है तो हम अलौकिकता में पहुँचते हैं। हम अलौकिक विश्राम पा सकते हैं। यीशु कह रहा था “किसी भी विषय में मेरे पास आओ क्योंकि मैं हमेशा सब कुछ के द्वारा तुम्हारी सहायता करना चाहता हूँ।” उसके पास ले जाने के लिए कुछ भी इतना छोटा या बड़ा नहीं है। आपके पास बहुत सारे निवेदन नहीं हो सकते हैं।