क्योंकि जिन्हें उसने पहिले से जान लिया है…उन्हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों। (रोमियों 8:29)
आज के वचन के अनुसार, हमारे जीवन में परमेश्वर का एक लक्ष्य यह है कि हम यीशु की तरह बन सकें। वह चाहता है कि हम अपने विचारों में, अपने शब्दों में, अन्य लोगों के साथ, अपने व्यक्तिगत जीवन में और अपने कार्यों में यीशु की तरह बने रहें। यीशु की तरह बनना रातोंरात नहीं होता; यह एक प्रक्रिया है जिसे हमें अनुभव करना चुनना है।
कल का वचन याद रखिए, रोमियों 12:1 “इसलिये हे भाइयों, मैं तुम से परमेश्वर की दया स्मरण दिला कर विनती करता हूं, कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान करके चढ़ाओ…।” इसका मतलब है कि हमें एक सचेत निर्णय लेना है, कि हम अपने आप को परमेश्वर को दे दें। परमेश्वर ने हमें स्वतंत्र इच्छा दी है, और एकमात्र तरीका जिसके द्वारा हम कभी पूरी तरह से उसके होंगे, वह है स्वयं को उसे स्वतंत्र रूप से देना। वह हमें कभी भी उससे प्रेम करने या उसकी सेवा करने के लिए मजबूर नहीं करेंगे। वह हमसे बात करेंगे, हमारा नेतृत्व करेंगे, हमारा मार्गदर्शन करेंगे, और हमें संकेत देंगे, लेकिन वह हमेशा हमें आत्मसमर्पण करने का निर्णय लेने देंगे।
परमेश्वर ने मनुष्य बनाया है, रोबोट नहीं, और वह हम से एक निश्चित तरीके से व्यवहार करवाने की कोशिश नहीं करेगा क्योंकि उसने हमें चुनने की स्वतंत्रता दी है – और वह चाहते हैं कि हम उसे चुनें। वह चाहते हैं कि हम स्वेच्छा से अपने जीवन को हर दिन उसके सामने रखें और कहें, “परमेश्वर, आपकी इच्छा पूरी हों, मेरी नहीं।” यह छोटी और सरल प्रार्थना अत्यंत शक्तिशाली है जब हम वास्तव में सच्चाई से यह प्रार्थना करते हैं; और यह उस पूर्ण समर्पण को दर्शाता है जो परमेश्वर हमसे चाहते हैं। यदि परमेश्वर आपसे कुछ बात कर रहे हैं या आप में काम कर रहे हैं, तो मैं आपको तुरंत आत्मसमर्पण करने के लिए प्रोत्साहित करती हूं। आज उसकी आवाज का पालन करें और आत्मसमर्पण करें। उसे आपका बल बनने के लिए कहें, और याद रखें कि उसके माध्यम से आप सभी चीजें कर सकते हैं।
आज आप के लिए परमेश्वर का वचनः परमेश्वर के सामने आत्मसमर्पण करना चुनें।