
मैं तुझे बुद्धि दूँगा, और जिस मार्ग में तुझे चलना होगा उस में तेरी अगुवाई करूँगा; मैं तुझ पर कृपादृष्टि रखूँगा और सम्मति दिया करूँगा। – भजन संहिता 32:8
जब हम कष्ट में होते हैं प्रभु अपने वचन में छुड़ाने की प्रतिज्ञा करता है। यीशु अपनी पवित्र आत्मा को हमें सिखाने के लिए भेजता है जो हमें जानने की ज़रूरत है। उसने अपने शिष्यों से कहाः
मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी है, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य की आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा परन्तु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा। वह मेरी महिमा करेगा, क्योंकि वह मेरी बातों में से लेकर तुम्हें बताएगा। जो कुछ पिता का है, वह सब मेरा है; इसलिए मैंने कहा कि वह मेरी बातों में से लेकर तुम्हें बताएगा।
– यूहन्ना 16:12-15
मैं बहुत आनन्दित हूँ कि यीशु प्रतिज्ञा करता है कि पवित्र आत्मा हमारी अगुवाई करेगा-वह हमें भटकाता नहीं है परन्तु ले चलता है-सत्य की ओर। शैतान हम पर दबाव डालना चाहता है और हमारा शोषण करना चाहता है परन्तु पवित्र आत्मा चाहता है कि सज्जनता के साथ हमारी अगुवाई करे। यह कुछ रास्तों में से एक है हम पहचाने कि हम परमेश्वर से सुन रहे हैं या शत्रु से सुन रहे हैं। यदि आप दबाव, संदेह, नियन्त्रित और किसी बात के विषय में तनावग्रस्त महसूस करते हैं तो यह परमेश्वर नहीं है। इस प्रकार वह कार्य नहीं करता है बल्कि पवित्र आत्मा सज्जनता के साथ आप पर सत्य “प्रगट करता है (घोषणा करता है, प्रकाशित करता है या प्रसारित करता है) ”।