परमेश्वर आत्मा (एक आत्मिक प्राणी) है, और अवश्य है कि उसके भजन करने वाले आत्मा और सच्चाई से भजन करें। (यूहन्ना 4:24)।
हम हमारे आत्मा के द्वारा परमेश्वर के साथ संचार करते है। हमारे आज के वचन में यीशु ने कहा कि हमें आत्मा और सच्चाई में परमेश्वर की आराधना करनी चाहिए। परमेश्वर के साथ पूरी तरह और पूर्णता से सच्चे होना उन ढंगों में से एक है जिसके द्वारा हम उसके साथ निकटता को विकसित कर सकते है। वह कुछ भी हो हमारे बारे में सबकुछ जानता है, इसलिए उसके साथ पूरी तरह ईमानदार ना होने को कोई कारण नहीं है। उसे बताएं कि आप कैसे महसूस करते है, क्या आपने ग़लत किया है, और आपकी इच्छाएं क्या है। परमेश्वर के साथ ऐसे ही बात करें जैसा आप एक अच्छे, भरोसेमंद मित्र के साथ करेंगे।
यहां पर समय होते है जब मैं जानती हूं कि परमेश्वर चाहता है कि मैं एक कार्य करूँ और मैं उसे ईमानदारी के साथ कहती हूं कि मैं इसे करना चाहती हूं, पर यह मैं उसके लिए आज्ञाकारीता में करूँगी और इसलिए क्योंकि मैं उससे प्रेम करती हूं। दिखावा और परमेश्वर के साथ करीबी संबंध कार्य नहीं करेगा। मेरे एक मित्र ने मुझे बताया कि यद्यपि कि वह जानती थी कि उसे परमेश्वर के राज्य में देना चाहिए पर वास्तव में वो देना नहीं चाहती थी। वह परमेश्वर के साथ ईमानदार थी और उसने बताया, “मैं इसे करने के लिए आपसे एक इच्छा को माँग रही हूं।” यह स्त्री अंततः बहुत उदार बन गई और इसे आनन्द के साथ किया।
केवल सत्य ही हमें आजाद करेगा (यूहन्ना 8:32)। परमेश्वर का वचन सत्य है। जो वह कहता वह उसका अर्थ रखता है जो अर्थ रखता वो कहता है। जब हम कुछ गलत करते है तब हमें इसके बारे में परमेश्वर के साथ पूरी तरह ईमानदार होना चाहिए। पाप जो भी है इसे कहें। अगर आप लालची थे; तो इसे लालच कहें। अगर आप ईर्ष्यालु थे, तो इसे ईर्ष्या कहें। अगर आप ने झूठ बोला, तो इसे झूठ कहें। परमेश्वर से क्षमा को माँगे और इसे विश्वास के द्वारा प्राप्त करें।
जब हम परमेश्वर की आराधना करते है, तब हमें इसे आत्मा से करना चाहिए और सारी सच्चाई, गंभीरता और ईमानदारी से इसे करना चाहिए। अगर हम महसूस करें कि एक मित्र झूठा है, तो हम अक्सर कहते है, “वास्तविक बनो,” अर्थात हम उन्हें कह रहे है कि दिखावा करना बंद करें और ईमानदार बनें। मैं सोचती हूं कि परमेश्वर भी हम से यही चाहता है।
आज आप के लिए परमेश्वर का वचनः वास्तविक बनें!