दुष्ट लोग जब कोई पीछा नहीं करता तब भी भागते हैं, परन्तु धर्मी लोग (दृढ़) जवान सिंहों के समान निडर रहते हैं। – नीतिवचन 28:1
यदि हम स्वयं सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें एक ऐसे बिंदु पर पहुँचना चाहिए जहाँ पर हम पवित्र आत्मा के द्वारा चलाए चल सकते हैं। केवल परमेश्वर ही अपनी आत्मा के द्वारा हमें सफलता की ओर ले चलेगा और हमें वह सब कुछ बनाएगा जो हम बन सकते हैं। अन्य लोग प्रायः बनते हैं, शैतान निश्चित रूप से नहीं बनता है और हम बिना परमेश्वर के इसे स्वयं करने योग्य नहीं हैं।
आत्मा के द्वारा चलाए जाने का अर्थ यह नहीं है कि हम कभी गलती नहीं करते हैं। पवित्र आत्मा गलतियाँ नहीं करती है परन्तु हम करते हैं। आत्मा की अगुवाई अनुकरण करना एक प्रक्रिया है जो केवल करने के द्वारा सिखा जा सकता है। जिन बातों के विषय में हम विश्वास करते हैं कि परमेश्वर हममें डाल रहा है उनमें कदम रखने के द्वारा हम प्रारंभ करते हैं और हम बुद्धि और अनुभव से सीखते हैं कि और स्पष्टता के साथ और निश्चयता के साथ सुनना है।
मैं कहती हूँ कि आत्मा के द्वारा चलाए जाने के लिए साहस अपेक्षित हैः 1) केवल साहस ही बाहर निकलता है और 2) केवल साहस ही गलतियाँ कर सकता है। जब असुरक्षित लोग गलतियाँ करते हैं, वे अकसर पुनः कोशिश नहीं करते हैं। साहसी लोग कई गलतियाँ करते हैं परन्तु उनका रवैया “मैं तब तक कोशिश करते रहूँगा जब तक सही रीति से करना नहीं सीख लूँ”। वे जो दोष भावना में जीते हैं प्रायः विश्वास नहीं करते कि वे परमेश्वर से सुन सकते हैं। चाहे वे सोचें भी कि उन्होंने परमेश्वर से सुना है और बाहर कदम रखते भी हैं तो एक छोटा सा पराजय उन्हें काफ़ी पीछे हटा देती है। मैं मानसिक और भावनात्मक रीति से तैयार हूँ कि गलतियों और समस्याओं के द्वारा मैं पराजित न किया जाऊँ।
साहसी बनिए। दृढ़ हों कि आप वह सब होने जा रहे हैं जो परमेश्वर चाहता है कि आप हों। भय और असुरक्षा के पीछे अब और अधिक न छुपें। यदि पहले से आपने अपने जीवन में बड़ी भूलें की हैं और उनके कारण दोष भावना में जी रहे थे तो यह आगे बढ़ने का समय है! आप इस पुस्तक को एक कारण से पढ़ रहे हैं और मैं आपको उत्साहित करती हूँ कि इस संदेश को व्यक्तिगत रूप से लें। ठीक उसी प्रकार मानो परमेश्वर इसके द्वारा आपसे सीधे बात कर रहा था। विजय की ओर आगे बढ़ने के लिए दृढ़ संकल्प हों।