आपका दर्द आपका संदेश बन जाए

आपका दर्द आपका संदेश बन जाए

परन्तु जब हम सब के उघाड़े चेहरे से प्रभु का प्रताप इस प्रकार प्रगट होता  है, जिस प्रकार दर्पण में, तो प्रभु के द्वारा जो आत्मा है, हम उसी  तेजस्वी रूप में अंश अंश करके बदलते जाते हैं। -2 कुरिन्थियों 3:18

मैं लोगों को उत्साहित करती हूँ कि उनके भूतकाल को जाने दें; परन्तु उससे कभी भागे न। अपने पुराने समय के दर्द पर विजय पाने का एक मात्र मार्ग परमेश्वर को अनुमति देना है कि वह हमें दर्द के रास्ते से होकर विजय तक पहुँचाए। कोई भी हमारे लिए विजय नहीं पा सकता है। हमें अपना उद्धार खुद प्राप्त करना है। पौलुस ने फिलिप्पी कलीसिया की पत्री में इस सत्य की व्याख्या की और कहाः

इसलिए कि मेरे प्रियों, जिस प्रकार तुम सदा से आज्ञा मानते आए हो, वैसे ही अब भी न केवल मेरे साथ रहते हुए पर विशेष करके अब मेरे दूर रहने पर भी डरते और काँपते हुए (आत्म भरोसा न रखकर, गंभीर सावधानी के साथ, कृपालु विवेक, परीक्षा के प्रति सतर्कता, क्रमशः उन बातों से हटते हुए जो परमेश्वर को गलत लगे और मसीह के नाम का अनादर हो) अपने अपने उद्धार का कार्य (खेती करो, लक्ष्य पूरा करो और पूर्ण रीति से) पूरा करते जाओ; (अपनी सामर्थ्य में नहीं) क्योंकि परमेश्वर ही है जिसने अपनी सुइच्छा निमित्त तुम्हारे मन में इच्छा और काम, (तुममें सामर्थ्य और इच्छा उत्पन्न करते हुए और उर्जा देते हुए) दोनों बातों के करने का प्रभाव डाला है।-फिलिप्पियों 2:12-13

हमें परमेश्वर को सब कुछ को लेने देना है और उसे हममें कार्य करने देना है, कि हमारा र्दद हमारा संदेश बन जाए। कठिन बातें जिनसे होकर हम भूतकाल में गुज़रे, भविष्य के लिए हमें परमेश्वर की आशीषों के लिए तैयार करती हैं।

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