
हे इसलिए हे भाइयो, जो जो बातें सत्य है, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, अर्थात् जो भी सदगुण और प्रशंसा की बातें हैं उन पर ध्यान लगाया करो। – फिलिप्पियों 4:8
आपकी वास्तविकता प्रगट करना-सुनने से ऐसा लगता है कि समकालीन स्वयं की सहायता से संबंधित कुछ बात हो परन्तु इसकी अवधारणा सीधे बाइबल से आती हैः “जैसा वह अपने हृदय में विचार करता है वैसा वह है।” (नीतिवचन 23:7) मैं कहना चाहती हूँ कि यह ऐसा है कि “जहाँ दिमाग़ जाता है वहाँ आदमी चलता है।”
सकारात्मक विचार सकारात्मक जीवन की पूर्व सूचना हैं। दूसरी तरफ़ हमारा जीवन व्याकुल विचारों और नकारात्मक अपेक्षाओं के द्वारा दुःखदायी बनाया जा सकता है। हम प्रायः सोचते हैं कि हमारी समस्याएँ हमारे जीवन को बर्बाद कर रही हैं परन्तु प्रायः उनके प्रति हमारा रवैया बर्बादी का कारण बनता है।
हम सब ऐसे लोगों से सामना करते हैं जो परख की परिस्थितियों में रहने के बावजूद एक महान रवैया रखते हैं। हम ऐसे लोगों से भी सामना करते हैं जिनके पास जलाने के लिए धन और अवसर दोनों हैं फिर भी वे शिकायत करते और कुड़कुड़ाते है और नकारात्मक और आलोचनात्मक हैं और आत्म तरस और अप्रसन्नता से भरे हुए हैं। हम जितना अंगीकार करना चाहते हैं उससे अधिक हमें अपने जीवन में कार्य करने की ज़रूरत है। यह सीखना कि किस प्रकार सही रीति से सोचना है अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
विचार भावनाओं को प्रभावित करते हैं और वे दोनों देह को प्रभावित करते हैं। आपको संपूर्ण होने के लिए स्वस्थ मन बनाए रखना चाहिए। एक निर्णय लें कि आप एक स्वस्थ मन पाने जा रहे हैं। अपने मन को नया करने में कुछ समय और परिश्रम लगता है। आपको अवश्य कुछ नया और सकारात्मक मार्ग सीखना चाहिए परन्तु परमेश्वर के वचन को पढ़ना यह करने में आपकी सहायता कर सकता है।