मनुष्य के लिये खाने-पीने और परिश्रम करते हुए अपने जीव को सुखी रखने के सिवाय और कुछ भी अच्छा नहीं। मैं ने देखा कि यह भी परमेश्वर की ओर से मिलता है। – सभोपदेशक 2:24
आनन्द वह ऊर्जा है जो हमें एक अच्छे व्यवहार के साथ एक प्रयत्न की अंतिम रेखा तक पहुँचने के लिए चाहिए होता है। हम स्वयं को अंतिम रेखा की तरफ खींच सकते है, पर रास्ते में कहीं हम संभावी तौर पर कड़वे बन जाते और अगर हम यात्रा का आनन्द लेने के लिए समय नहीं निकालते और प्रकाशमान नहीं होते तो हम क्रोधित हो जाते है।
बहुत से लोग जीवन का आनन्द लेने और जश्न मनाने के बारे में दोषी महसूस करते, निरंतर काम करते और स्वयं को तनाव से भर लेते है, जब कि परमेश्वर ने मेहनत करने और आनन्द लेने दोनों की साफ-साफ आज्ञा दी और नियुक्ती की है। सभोपदेशक 2:24 कहती है कि कठिन कार्य के बीच में स्वयं को आराम देना और आनन्द करना भला है।
हमारी सोच इस क्षेत्र में बँधी हुई है। शैतान ने हमें भ्रम में डाल दिया है, और ऐसा करने के द्वारा वह लोगों को थके हुए और ग्लानिमय, नराज महसूस करते रखने में सफल हुआ है और अतिरिक्त कार्य और जिम्मेदारी के कारण फायदा उठाया है।
हमें ताजगी और मनोरंजन के लिए साथ ही कार्य और प्राप्ति के लिए समयों की आवश्यकता की जरूरत होती है। जो कोई भी लक्ष्य परमेश्वर ने आपके सामने रखा हुआ है उसमें आपको मेहनती होना चाहिए, पर आप सुनिश्चित करें कि आप स्वयं को ईनाम देना सीखने और आपकी उन्नति का जश्न मनाना सीखने के द्वारा एक उचित संतुलन बनाएं रखें। परमेश्वर सोचता है कि आप इसके योग्य है!
आरंभक प्रार्थना
परमेश्वर, मैं मुझे दिए गए जीवन का आनन्द लेना चाहती हूँ। मुझे बताएं कि कैसे कठिन मेहनत करनी है पर साथ ही कैसे आराम करना और मार्ग में मेरी उन्नति का जश्न भी मनाना है। मसीह में बहुतायत के जीवन के लिए आपका धन्यवाद!