इन बातों पर मनन करें

इन बातों पर मनन करें

और मैं जयजयकार करके तेरी स्तुति करूँगा। जब मैं बिछोने पर पड़ा तेरा स्मरण करूँगा, तब रात के एक एक पहर में तुझ पर ध्यान करूँगा।- भजन संहिता 63:5ब-6

अहा! मैं तेरी व्यवस्था में कैसी प्रीति रखता हूँ! दिन भर मेरा ध्यान उसी पर लगा रहता है।- भजन संहिता 119:97

अतिश्रेष्ट महयस्थी। योग। नया युग। हम इन शब्दों को हर समय सुनते हैं, और वे मसीहियों के लिये मनन के किसी भी संदर्भ का परिहार करने का कारण बनते हैं। वे इस गलत शिक्षा से भयग्रस्त हैं। वे यह नहीं समझ पाते हैं कि बाइबल हम कितनी बार मनन करने को कहती है।

हम बाइबल मनन को कई तरीकों से व्यख्या कर सकते हैं, परन्तु जिसे मैं सबसे अधिक सहायक मानती हूँ, वह जैसा बाइबल में कहा गया है, वैसा उस के बारे में सोचना है। यदि हम उपरोक्त पदों को पढ़ते हैं, तो हम वचन पे मनन करने के विषय में तीन उल्लेखनीय बातों को देखते हैं।

पहला, धर्मशास्त्र जल्दी जल्दी वचन को पढ़ने या थोड़े देर विचार करने को कहती है। बाइबल मनन को एक गंभीर खोज के रूप में प्रस्तुत करती है। जब कभी बाइबल मनन की बात करती है, तो वह गंभीर और समर्पित अनुयायिओं की बात करती है। यह तुरन्त उठाकर बाइबल को पढ़ने या बहुमूल्य प्रतिज्ञाओं को जल्दि से पढ़ लेना नहीं है। मैं इन बातों के विरूद्ध नहीं हूँ, परन्तु यह अधिक गहरा और अधिक गंभीर ध्यान केन्द्रित करने की बुलाहट है।

दूसरा, बाइबल के संदर्भ मनन को एक लगातार चलनेवाले और नियमित मनन कहती है। सारा दिन यह मेरे मनन का विषय है, उपरोक्त विषय कहता है। यहोशू 1:8 में परमेश्वर ने यहोशू से दिन रात व्यवस्था पर मनन करने के लिये कहा। हम यहाँ पर यह बात पाते हैं कि लोग जो मनन की बात करते थे, वे गंभीरता पूर्वक ऐसा करते थे और प्रत्येक कार्य रूप में परिणित भी करते थे। भजन संहिता 1:2 कहता है, ‘‘कि भक्त दिन रात व्यवस्था पर ध्यान लगाए रहता है।’’

तीसरा, मनन का एक प्रतिफल है। यह केवल मनन करना या किसी धार्मिक संस्कार को पूरा करना नहीं है। अधिकांश बाइबल भाग में जहाँ पर यह शब्द आता है, लेखक इस के प्रतिफल की तरफ इशारा करता है। पुनः यहोशू 1:8 में, ‘‘व्यवस्था की यह पुस्तक तेरे चित्त से कभी न उतरने पाए, इसी में दिन रात ध्यान दिए रहना, इसलिये कि जो कुछ उस में लिखा है उसके अनुसार करने की तू चैकसी करे; क्योंकि ऐसा ही करने से तेरे काम सुफल होंगे, और तू प्रभावशाली होगा’’।

भजन संहिता 1 में उस भक्त, मनुष्य के बारे में वर्णन करता है, जो दिन रात
परमेश्वर के वचन पर ध्यान करता है और कहता है, ‘‘और जो कुछ वह करे वह सुफल होगा।’’ (पद 3)।

इसके बावजूद की मैंने जिन बातों की तरफ इशारा किया है, हम वर्तमान मे मनन के विषय में अधिक बात नही करते या सिखाते हैं। यह कठिन कार्य है। इस में समय की आवश्यकता है। मनन अविभागित ध्यान मांगता है।

यदि आप मन के युद्ध को जीतना चाहते हैं, तो मनन आपके इस्तेमाल के लिये एक शक्तिशाली हथियार है। आपको परमेश्वर के वचन के भाग पर ध्यान केन्द्रित करना हैं। आपको उन्हें अवश्य पढ़ना चाहिये। शायद उसे जोर से दोहराना चाहिये और उसे अपने समुख रखना चाहिये। कुंछ लोग एक पद को लगातार तब तक दोहराते हैं, जब तक वह उनके मन भर न पाए, और उनके विचारों का भाग न पाए। विचार यह है कि आप जब भौतिक रूप से परमेश्वर के वचन को कार्य रूप में तब तक नहीं लाते हैं, जब तक आप मानसिक रूप से उसे कार्य में नहीं लाते हैं। मनन, जीवन का एक सिद्धान्त है। क्योंकि यह आप को जीवन देता है, और आपके व्यवहार द्वारा दूसरों को जीवन देता है।

परमेश्वर के वचन को मनन करने के विषय पर मैं लगातार बोल सकती हूँ। क्योंकि इस का कोई अन्त नहीं है, कि परमेश्वर एक पद के द्वारा मुझे कितनी बातें दिखा सकता है। परमेश्वर का वचन एक खजाना पेंठ है, जो परमेश्वर हमे प्रगट करना चाहता है। मैं विश्वास करती हूँ कि ये बातें उन लोगो पर प्रगट होती हैं, जो परमेश्वर के इन बातों पर मनन करें वचन पर मनन कनते, गहराई से उस पर विचार करते, उस का अध्ययन करते, उस के विषय में सोचते और मानसिक रूप से उस का अभ्यास करते हैं। जब हम उस के वचन पर गंभीरता पूर्वक मनन करते हैं, तो परमेश्वर स्वयं को हम पर प्रगट करता है। दिन भर के दिनचर्या में जब आप व्यस्त रहते हैं, तब आप पवित्र आत्मा से कुछ निश्चिन्त वचन को याद दिलाने के लिये कहें, जिन पर आप मनन कर सकते हैं।

आप को इस बात से आश्चर्य होगा, कि इस अभ्यास के द्वारा आप के जीवन में कितनी अधिक सामर्थ आती है। जितना अधिक आप परमेश्वर के वचन पर मनन करते
हैं, उतना अधिक आप समस्या के समय उस की सामर्थ पर निर्भर होने के लिये तैयार हो सकते हैं।

इसी प्रकार हम पवित्र आत्मा से भरपूर रह सकते हैं। प्रभु के साथ मनन करते, गीत गाते, और स्तुति करते हुए ठहरिये। जब हम उसकी उपस्थिति में समय व्यतीत करते हैं, और उसके वचन को खोजते हैं; तब हम बढ़ते हैं और हम दूसरों को उत्साहित करते हैं और अपने मन के शत्रु के विरूद्ध युद्ध को जीतते हैं।

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परमेश्वर के पवित्र आत्मा, प्रति दिन आप के वचन के खजाने पर मनन करने में समय खर्च करने के लिये मेरी सहायता कर। मुझे यह दिखाने के लिये धन्यवाद, कि जब मैं अपने मन को शुद्ध और पवित्र विचारों से भरती हूँ, तब मैं एक दृढ़ और अच्छा शिष्य बनती हूँ। आमीन्।।

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