
हे प्रभु यह पाप उन पर मत लगा (इस पाप का दण्ड उन्हें मत दे), यह कहकर वह (स्तिफनुस) सो गया (मर गया)। -प्रेरितों 7:60
उन्हें क्षमा करो जो आपको पीड़ा देते हैं। प्रेरितों छः और सात में हम स्तिफनुस की कहानी पढ़ते हैं जिसे यहूदी सभा के सामने बुलाया गया और सुसमाचार प्रचार करने के द्वारा ईश्वर और मूसा की निन्दा करने का झूठा आरोप लगाया गया। उसके एक संदेश देने के पश्चात् जिसने यहूदी सभा को क्रोधित किया उसे बाहर ले जाया गया और पत्थरवाह किया गया। परन्तु जब वे उस पर पत्थरवाह कर रहे है परन्तु स्तिफनुस ने अपने शत्रुओं के लिए प्रार्थना किया यह कहते हुए, “हे प्रभु यीशु, मेरी आत्मा को ग्रहण कर। फिर घुटने टेककर ऊँचे शब्द से पुकारा, हे प्रभु, यह पाप उन पर मत लगा।” (और यह कहकर वह सो गया) (प्रेरितों 7:59,60)
मैं भयभीत हूँ कि ऐसी परिस्थिती में मैं परीक्षा में पड़ जाती कि एक पत्थर उठाकर उनकी तरफ़ फेंकती। परन्तु स्तिफनुस ने ऐसा नहीं किया। उसने अपने यातना देनेवालों के लिए प्रार्थना की उन्हें और क्षमा किया। साधारणता में कहा, तो “प्रभु उन्हें क्षमा कर, वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं।” इस समय के बहुसंख्यक जो हमें घायल कर रहे हैं, नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं। वे अपने स्वार्थ्यता के कारण व्यवहार कर रहे हैं। वर्षों पूर्व किसी ने मुझ से कुछ ऐसा कहा जिसने मेरी सहायता की, उसने कहा, 95 प्रतिशत कई समय ऐसे होते है जब लोग हमारी भावनाओं को चोट पहुँचाते हैं तो वास्तव में उनका ऐसा करने का लक्ष्य नहीं होता है।
परमेश्वर नहीं चाहता है कि हम एक ऐसा पीड़ित हृदय लेके चलें। यदि हम करते हैं तो हम दूसरों की सेवा करने के योग्य नहीं होंगे। आप सोचेंगे कि ये आपके संबंधित नहीं है क्योंकि आपकी एक पुलपीट की सेवकाई नहीं हैं। परन्तु प्रत्येक विश्वासी की एक सेवकाई है। आप एक वेदी से शिक्षा देनेवाले नहीं होंगे परन्तु आपके बच्चे, जीवन साथी, और परिवार परमेश्वर के प्रति आपकी एक सेवा है। एक गलत हृदय की स्थिति के साथ आप कैसे परमेश्वर की स्तुति कर सकते हैं। पीड़ित होना हमारे लिए बहुत आसान है, परन्तु बाइबल के अनुसार प्रेम आसानी से पीड़ित नहीं होता।