लुदिया नामक थुआथीरा नगर की बैंजनी कपड़े बेचनेवाली एक भक्त स्त्री सुन रही थी। प्रभु ने उसका मन खोला कि वह पौलुस की बातों पर चित्त लगाए। -प्ररितों 16:14
फिलिप्पी के शहर में जहाँ के लिए परमेश्वर ने पौलुस को और उसके सभी यात्रा करनेवालों को जाने का निर्देश दिया वहाँ पर महिलाओं का समूह था जो इस नदी के किनारे प्रार्थना के लिए इकट्ठे होते थे। पौलुस उन महिलाओं से बातें करने लगा और उनसे कुछ ऐसी बातें कहने लगा जो उन्होंने पहले कभी नहीं सुनी थी। वे यहूदी व्यवस्था के अधीन जीने के आदि थे और पौलुस एक अनुग्रह के संदेश को उन्हें दे रहा था। लुदिया नाम की एक महिला के पास एक खुला हुआ हृदय था कि उन बातों को स्वीकार कर सके जो पौलुस को कहना था।
एक खुला हुआ हृदय होने का एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि इसके बिना हम किसी भी नई या भिन्न बात पर ध्यान नहीं देंगे। यह अद्भुत है कि बाइबल में वर्णित बातों को विश्वास करने से हम इंकार कर देंगे क्योंकि वे उन बातों के भाग नहीं हैं जो उस काल में हमें सिखाया गया। हमारा विश्वास करना विकासशील की ओर नहीं होता है या प्रगतिशील की ओर नहीं होता है। हम क्यों नहीं स्वीकार कर सकते हैं कि कुछ ऐसी बातें हो सकती है जिन्हें हम नहीं जानते? इसका यह तात्पर्य नहीं कि हमें इतना अधिक खुला हुआ होना चाहिए कि वह सब कुछ विश्वास करे या यह सब कुछ जो शैतान हम पर डाल देना चाहता है। परन्तु इसका यह तात्पर्य है कि हमें इतना अधिक संकिर्ण विचारधारा के नहीं होना चाहिए कि कोई भी हमें कुछ भी नया सीखा न सके।
हमें इन बातों को सुनने से भयभीत नहीं होना चाहिए जो कही जा रही है और बाइबल पढ़ने और परमेश्वर से इसके विषय में बात करने के द्वारा इसे स्वयं के लिए परखने से भयभीत नहीं होना चहिए कि देखें कि यह सच में सत्य है। मैं लोगों के विषय में चिन्तित होती हूँ जो सोचते हैं कि बातों को करने का इसका एक ही तरीका है और यह उनका अपना तरीका है। हमारे पास एक खुला हुआ हृदय होना चाहिए, यह हमें बताएगा कि कब जो हम सुनते वह सत्य है।