एक दूसरे की सेवा करना परमेश्वर की सेवा करना है

एक दूसरे की सेवा करना परमेश्वर की सेवा करना है

जो कुछ तुम करते हो, तन मन से करो, यह समझकर कि मनुष्यों के लिए नहीं परन्तु प्रभु के लिए करते हो; क्योंकि तुम जानते हो कि तुम्हें इसके बदले प्रभु से मिरास मिलेगी; तुम प्रभु मसीह की सेवा करते हो। – कुलुस्सियों 3:23-24

एक सुबह जब मैं उठी और नीचे रसोई घर में कॉफ़ी बनाने गई मैंने महसूस किया कि प्रभु मुझ से कह रहा है कि मैं डेव के लिए फलों का सलाद बनाऊँ। उस दिन हमारे नौकर छुट्टी में थे और वास्तव में डेव सुबह अपने फलों के सलाद का आनंद उठाते थे। ईमानदारीपूर्वक कहें तो मैं फल का सलाद बनाना नहीं चाहती थी। मैं डेव के लिए एक केला और एक सेब ला के दे सकती थी परन्तु मैं उन सबको काटकर एक बर्तन में रखकर उन्हें देने का समय नहीं खर्च करना चाहती थी। मैं जाकर अपनी बाइबल पढ़ना और प्रार्थना करना चाहती थी!

कभी कभी हम यह सोचने की गलती करते हैं कि हम आज्ञाकारिता के स्थान पर आत्मिक गतिविधियों को रख सकते हैं और यह हमें आत्मिक बनाती है परन्तु यह ऐसा नहीं है। प्रभु ने मेरे हृदय से कहा कि डेव की सेवा करना वास्तव में उसकी सेवा करना था। मैंने आज्ञाकारिता के साथ फलों का सलाद बनाया।

ऐसा दिखता है कि आज हर कोई स्वतन्त्र होना चाहता है और यीशु ने हमें यतार्थ में स्वतन्त्र कर दिया है। परन्तु उसने हमें स्वार्थी होने और सेवा करवाने के लिए स्वतन्त्र नहीं किया है परन्तु दूसरों की सेवा करने के लिए।

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