…. क्योंकि यहोवा का देखना मनुष्य का सा नहीं है; मनुष्य तो बाहर का रूप देखता है, परन्तु यहोवा की दृष्टि मन पर रहती है। 1 शमूएल 16:7
परमेश्वर मनों के परमेश्वर हैं। वह न केवल किसी व्यक्ति के बाहरी रूप को, या यहां तक कि एक व्यक्ति जो कुछ भी करता है उसे देखते हैं, और उस मानदंड के आधार पर उस व्यक्ति का न्याय करते हैं। मनुष्य शरीर का न्याय करता है, परन्तु परमेश्वर मन का न्याय करता है।
संभव है की हम अच्छे काम करते हैं और फिर भी मन का रवैया गलत रखते हों। ऐसा भी संभव है की हम कुछ चीजें गलत कर रहे हों लेकिन फिर भी अंदर से सही मन रखते हैं। सब कुछ अच्छा होते हुए बुरा मन रखने वाले व्यक्ति का उपयोग करने के बजाय एक अच्छे मन और कुछ समस्याओं वाले व्यक्ति का उपयोग करने के लिए परमेश्वर बहुत अधिक इच्छुक होते हैं।
यदि हम परमेश्वर से सुनना चाहते हैं और उसके निकट रहना चाहते हैं, तो यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम अपने आंतरिक जीवन और अपने मन की मनोवृत्ति पर ध्यान दें, जिस तरह से हम चीजों के बारे में महसूस करते हैं और सोचते हैं (जिसे बाइबल मन का छिपा हुआ व्यक्ति कहती है)।
जब परमेश्वर किसी को बढ़ाना चाहते हैं, तब वे अपने मन के अनुसार के किसी व्यक्ति को चुनते हैं।