एक बार में एक कदम

एक बार में एक कदम

यह मतलब नहीं कि मैं पा चुका हूँ, या सिद्ध हो चुका हूँ; पर उस पदार्थ को पकड़ने के लिए दौड़ा चला जाता हूँ, जिसके लिए मसीह यीशु ने मुझे पकड़ा था। – फिलिप्पियों 3:12

परमेश्वर का अनुकरण करना पर्वत चढ़ने के समान है। यदि परमेश्वर ने हमें दिखाया है कि पर्वत वास्तव में कितना ऊँचा है तो वह चाहता है कि हम उसे चढ़ें तो हम पहला कदम उठाने में भयभित हो सकते हैं। हम तर्क कर सकते हैं कि हम ऊपर तक जाने के लिए तैयार नहीं हैं। इसलिए वह ऊपरी हिस्से को एक मेघ के द्वारा ढ़ाँप देता है और हम केवल अपने सामने के कदम को देख सकते हैं। वह पहला कदम ठीक लगता है इसलिए हम उसे रखते हैं और तब हम अगला कदम रखते हैं, और अगला और अगला और अगला जब तक एक दिन हम अपने आपको पर्वत के ऊपर पाते हैं बिना यह जाने कि जब हमने प्रारंभ किया तो हम कहाँ थे। तब हम बहुत ही आनन्दित होते हैं कि हम ने यात्रा प्रारंभ किया था।

मैं एक महिला को स्मरण करती हूँ जो मेरे पास यह शिकायत करते हुए आई कि वह परमेश्वर से सुन नहीं सकती थी कि वह उससे बात नहीं कर रहा था यद्यपि वह उसे कुछ विषय में खोज रही थी। तब प्रभु ने मुझ से कहा कि कुछ और करने के विषय में उसे तब तक बात करने का कोई प्रश्न ही नहीं है जब तक वह अंतिम बात को न करे जो उसने अभी तक नहीं किया था।

हमारे लिए परमेश्वर की योजना हम किसी बात को टाल नहीं सकते हैं कि हम उसे पसंद नहीं करते हैं और दूसरे की ओर बढ़ चलें। हम कठिन कदमों को टाल नहीं सकते हैं या उन बातों को जो बलिदान की अपेक्षा रखता है। मैं दोहराती हूँ हमारे जीवन के लिए परमेश्वर की योजना का अनुकरण करने निवेश की अपेक्षा करता है। हमें परमेश्वर की इच्छा के लिए स्वयं की इच्छा का बलिदान करना चाहिए। हमें उसके मार्ग को पाने के लिए अपने मार्गों को बलिदान करना चाहिए। बलिदान से मत डरिए – यह क्रमशः हमें वह सब बनने के लिए स्वतन्त्रा करता है जो हम बनने की अभिलाषी होते हैं।

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