एक भिन्न नज़रिया

एक भिन्न नज़रिया

इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारे मन के नए हो जाने से तुम्हारा  चाल-चलन भी बदलता जाए, जिससे तुम परमेश्वर की भली, और  भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो। -रोमियों 12:2

संसार के तरीकों और उसके प्रकृति के समान नहीं बनने के लिए लगातार निगरानी की ज़रूरत है। समाचार माध्यम लगातार नकारात्मक रिपोर्ट देते हैं। अक्सर उसमें घटनाओं, दुर्घटनाओं का गैर भावनात्मक विवरण दिया जाता है और बहुत बार हम उसे बिना किसी भावनात्मक प्रतिक्रिया को देखते हैं। आजकल हम बहुत सी अहिंसा के विषय में सुनते हैं जिस पर हम बहुत कम ध्यान देते या उसकी जानकारी रखते हैं। यह समझने योग्य है परन्तु स्वीकार करने योग्य नहीं है। दुष्टता बढ़नेवाली है और यदि हम उत्साहपूर्वक इसके विरोध में नहीं आते हैं तो यह लगातार ही बढ़ेगा।

मैं विश्वास करती हूँ कि यह संसार के लिए शैतान की योजनाओं का भाग है। वह चाहता है कि हम एक कठोर हृदय का नज़रिया रखें जिसमें हम वास्तव में लोगों की और उनकी ज़रूरतों की चिंता न करें। मसीहियों के रूप में हमें उन घात करनेवालों के लिए प्रार्थना करना और संसार के इस सोचनीय रीति के विरोध में कड़ाई करने की शपथ लेनी चाहिए। अकेले होकर हम शायद इन सभी समस्याओं का हल नहीं कर सकते हैं जो आज संसार में है। परन्तु हम कुछ चिंता कर सकते हैं और हम प्रार्थना कर सकते हैं।

यीशु ने कहा, “प्रभु की आत्मा मुझ पर है, कि मैं सुसमाचार सुनाऊँ।” (लूका 4:18) मैं विश्वास करती हूँ कि फिर भी दुनिया में बुरी बातों के अलावा बहुत सारी अच्छी बातें हो रही हैं यदि कोई उनका विवरण दे। मैं यह नहीं कर रही हूँ कि हमें कभी भी समाचार सुनना या समाचार पत्र नहीं पढ़ना चाहिए, परन्तु मैं यह कह रही हूँ कि हमें संसार के विवरणों पर आश्रित रहना या उस आधारित नज़रिया नहीं बनाना है। हमें ध्यान देना है कि परमेश्वर हमारे जीवन में वर्तमान घटनाओं के विषय में क्या कह रहा है और जैसा वह अगुवाई करता है वैसा ही उन लोगों के लिए प्रार्थना करना है जो इन बातों से प्रभावित होते हैं।

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