
प्रभु तो आत्मा हैः और जहां कहीं प्रभु का आत्मा है वहां स्वतंत्रता है। – 2 कुरिन्थियों 3:17
प्रेम स्वतंत्र करता है। यह कुटुम्बी होने की एक समझ और एक आजादी की समझ को देता है। प्रेम दूसरों को नियंत्रित या चलाकी से इस्तेमाल करने या अन्यों के द्वारा मंजिल की पूर्णता तक पहुँचने का प्रयास नहीं करता।
यीशु ने कहा कि वह परमेश्वर द्वारा स्वतंत्रता की घोषणा करने के लिए भेजा गया था। विश्वासी होते हुए वही हमें भी करना है-लोगों को उनके जीवनों के लिए परमेश्वर की इच्छा को पूर्ण करने की आजादी देना, नाकि उन्हें हमारे नियंत्रण में लेकर आना है।
मैंने यह खोजा है कि लोगों को वह करने वाला बनाना जो मैं चाहती हूँ वो उनके हृदयों को परमेश्वर की आवाज के लिए बंद कर देता है। हमें लोगों को हमारे जीवनों में सब जो वह हो सकते वह परमेश्वर की महिमा के लिए, नाकि हमारी अपनी महिमा के लिए, होने के लिए स्वतंत्र करने की जरूरत है।
लोगों को आजाद करें और वह इसके लिए आपको प्रेम करेंगे। चलाकी से इस्तेमाल करने वाले ना बनें। इसकी बजाए, परमेश्वर को उनके जीवनों में नियंत्रण लेने की अनुमति देना सीखें।
एक व्यक्ति जिसके पास महान प्रेम है वही लोगों को और बातों को स्वतंत्र करने के योग्य होता है। आज, वह व्यक्ति ना बनें जो नियंत्रण करता है पर वह जो मुफ्त में स्वतंत्र करने वाले प्रेम को देता जो केवल परमेश्वर से आता है।
आरंभक प्रार्थना
परमेश्वर, मैं चाहती हूँ कि प्रेम जो मैं दूसरों को दूँ वह वही स्वतंत्र करने वाला प्रेम हो जो आप मुझे देते है। मैं उन्हें नियंत्रित और चलाकी से इस्तेमाल करने की अपनी इच्छा को त्यागती हूँ। मैं साधारण जिन लोगों को आप मेरे जीवन में रखते उनसे प्रेम करूँगी और उन्हें आप को सौंप दूँगी।