आपस के प्रेम से छोड़ और किसी बात में किसी के कर्जदार न हो; क्योंकि जो दूसरे से प्रेम रखता है, उसी ने व्यवस्था पूरी की है। – रोमियों 13:8
हमारे लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि हमारी अर्थव्यस्था की लड़ाई वास्तव में आत्मिक लड़ाई है। दुश्मन जितना हमारी पहुँच में है उससे ज्यादा खर्च करने की परीक्षा में डालता है ताकि वह हमें दबाव में रख सके और परमेश्वर के साथ हमारी यात्रा से हमारे ध्यान को हटा सके।
पर जो जीवन हमें देने के लिए यीशु मर गया था उस का आनन्द लेना हमारा लक्ष्य होना चाहिए। अगर हम दबाव में और आर्थिक कर्ज द्वारा निराश है तो हम यह नहीं कर सकते।
बाइबल के सिद्धान्तों के साथ धन का प्रबन्ध करने के द्वारा कर्ज रहित जीवन व्यतीत करना संभव है। मेरे पति डेव, कहते है कि अगर हम हमारी सीमाओं, या हमारी आमदनी के अन्दर जीवन व्यतीत करना सीखते है, तब परमेश्वर हमें आशीष देगा, हमारी सीमाओं का विस्तार करेगा और हमारे पास ज्यादा होगा। लूका 19:17 हमें बताती है कि जब हम छोटी-छोटी बातों में वफादार और भरोसेयोग्य होते है तो परमेश्वर प्रस्न्न होता है। जब हम ऐसा होते है, तो यह आयत कहती है कि वह बड़ी बातों पर हमें अधिकार देगा।
इसलिए जितना परमेश्वर ने आपको सौंपा हुआ है उससे ज्यादा “बड़े” में जीवन व्यतीत करने के फँदे में ना फँसे। अपनी सीमाओं के अन्दर जीवन व्यतीत करने के द्वारा कर्ज से बाहर रहें…फिर परमेश्वर को उनका विस्तार करता हुआ देखें।
आरंभक प्रार्थना
परमेश्वर, मैं मेरी अर्थव्यस्था के ऊपर आत्मिक लड़ाईयों पर विजय पाना चाहती हूँ, इसलिए मैं कर्ज में जीवन व्यतीत करने से इन्कार करती हूँ। मैं जो मेरे पास नहीं है उसे खर्च करने की परीक्षा में नहीं पड़ूँगी। इसकी बजाए, मैं जो सीमाएं आपने मुझे दी है उसी में वफादार रहूँगी।