तौभी, हे यहोवा, तू हमारा पिता है; देख, हम तो मिट्टी हैं, और तू हमारा कुम्हार है; हम सब के सब तेरे हाथ के काम हैं। -यशायाह 64:8
मैं उस दम्पत्ति की कहानी को पसंद करती हूँ, जो एक दिन कलाकृतियों के दुकान में गए और एक शेल्फ में एक सुन्दर चाय के प्याले को रखा हुआ देखा। उन्होंने उसे शेल्फ से लिया ताकि उसे और नज़दीक से देख सकें और उन्होंने कहा, ‘‘हम सचमुच में इस अद्भुत प्याले को खरीदना चाहते हैं।” अचानक चाय का प्याला बोलने लगा और कहा, ‘‘मैं हमेशा इस प्रकार से नहीं थी। एक ऐसा समय था जब मैं कठोर, ठण्डा, रंगहीन मिट्टी का लौदा था। एक दिन मेरे स्वामी ने मुझे लिया और कहा, ‘मैं इसके साथ कुछ कर सकता हूँ।’ तब उसने मुझे गूंथना शुरू किया, मेरे लौदे बनाए और मेरे आकार को बदल दिया। मैंने कहा, ‘आप क्या कर रहे हैं? इससे तकलीफ़ होती है। मैं नहीं जानता यदि मैं इस प्रकार से चाहता हूँ कि नहीं! रूक जाओ!’ परन्तु उसने कहा, ‘अभी नहीं।’
तब उसने मुझे एक चक्के पर रखा और मुझे चारो तरफ़ घुमाना शुरू किया जब तक मैं नहीं चिल्लाई, ‘मुझे जाने दो, बहुत तकलीफ़ हो रही है!’ उसने कह़ा, ‘अभी नहीं’। तब उसने मुझे एक प्याले का आकार दिया और मुझे अपनी भट्टी में रखा। मैं चिल्लाई, ‘मुझे जाने दो, मुझे बाहर निकालो, यहाँ पर बहुत गर्मी है, यहाँ मेरा दम घुट रहा है।’ परन्तु उसने मेरी तरफ़ देखा और कहा, ‘अभी नहीं।’
‘‘जब उसने मुझे बाहर निकाला तब मैंने सोचा कि मेरे ऊपर उसका कार्य समाप्त हो चुका है, तब उसने मुझे रंग करना शुरू कर दिया। मैं विश्वास नहीं कर सकती थी कि अगला उसने क्या किया। उसने मुझे पुनः भट्ठी पर रखा और कहा, ‘तुम्हें मुझ पर विश्वास करना है। मैं अब और अधिक नहीं सह सकती, कृपया मुझे बाहर निकालो!’ परन्तु उसने कहा, ‘अभी नहीं’। अन्ततः उसने मुझे भट्ठी से बाहर निकाला और एक शेल्फ में मुझे रखा जहाँ मैंने सोचा कि वह मुझे भूल गया है। तब उसने मुझे एक दिन शेल्फ से उठाया और मुझे एक आइने के सामने रखा। मुझे अपने आँखों पर विश्वास नहीं हुआ। मैं एक ऐसा सुन्दर प्याला बन गया था, जिसे हर कोई खरीदना चाहता था।”
हमारे भीतर ऐसी बातें चल रही हो सकती हैं, जो हम नहीं समझते हैं। परन्तु जब हम अन्ततः ऐसे स्थान पर पहुँचते हैं, जहाँ परमेश्वर हमें लाना चाहता है; तो हम देखेंगे कि उसने हमें इस बात के लिए कैसे तैयार किया है जो परमेश्वर हमारे लिए चाहता है।