जब वह घर में पहुँचा, तो वे अंधे उसके पास आए, और यीशु ने उनसे कहा, ‘‘क्या तुम्हें विश्वास है कि मैं यह कर सकता हूँ ?’’ उन्होंने उससे कहा, ‘‘हाँ, प्रभु!’’ -मत्ती 9:28
मरकुस 5:36 में उसने कहा, ‘‘भयभीत न हो केवल विश्वास करो।’’ मेरे जीवन में से बहुत से समय रहे हैं जब मैं: निरूत्साहित हुई हूँ और नहीं जानती थी कि क्या करना है या महसूस की कि कुछ भी सही नहीं हो रहा है और हर कोई मेरे विरोध में है। चाहे वह ये आर्थिक ज़रूरते थी जो पूरी नहीं हुई थी या मेरे शरीर का दर्द था जो ठीक नहीं हुआ था। मैं परमेश्वर से कहती, ‘‘तू क्या चाहता है कि मैं करूँ?’’ वह बात जब मैंने बार बार सुनी वह थीं ‘‘केवल विश्वास कर।’’ इब्रानियों 4:3 हमसे कहता है कि विश्वास करना हमें परमेश्वर के विश्राम में पहुँचाता है। एक बार जब हम उस विश्राम में प्रवेश कर लेते हैं यह अद्भुत है क्योंकि यद्यपि अब भी हमारी समस्या हो सकती है हम इनके द्वारा कुण्ठित नहीं होते हैं।
मरकुस 11:24 में यीशु कहता है कि, ‘‘प्रार्थना में तुम जो कुछ भी माँगोगे, विश्वास करो कि इसे प्राप्त कर चुके हो और तुम उसे पा लोगे।’’ पे्ररितों 16:31 में हमसे कहा गया है, ‘‘यीशु मसीह में विश्वास करो और तुम बचाए जाओगे।’’ इब्रानियों 11:6 हमसे कहता है कि वे जो परमेश्वर पर विश्वास रखते हैं उन्हें अवश्य विश्वास करना चाहिए कि वह है और वह अपने खोजनेवालों को प्रतिफल भी देता है।’’ क्या आप इन वचनों से देख सकते हैं कि विश्वास करना कितना महत्वपूर्ण है। यदि मैं और आप कुछ भी परमेश्वर से पाना चाहते हैं हमें पहले यह विश्वास करना है कि वह है, तब हमें अवश्य विश्वास करना है कि वह भला है।