”यदि आपस में प्रेम रखोगे, तो इसी से सब जानेंगे कि तुम मेरे चेले हो {अगर आप स्वयं के बीच प्रेम को दिखाते रहते है}। -यूहन्ना 13:35
मसीही होते हुए, हम अन्यों को प्रेम करने के लिए बुलाए गए है। जैसा कि ऊपर दिया गया वचन कहता है, अगर आप एक दूसरे से प्रेम करते, तो दूसरे जानेंगे कि आप यीशु के शिष्य है {अगर आप स्वयं के बीच प्रेम को दिखाते रहते है} (यूहन्ना 13:35)।
बहुत से लोग प्रेम को “केवल एक भावना करके लेते है,” पर यह इससे कहीं ज्यादा बढ़कर है। सच्चा प्रेम हमारे कामों के द्वारा स्वयं को प्रकट करता है।
इन क्रियाओं को असंभव या दबाने वाली नहीं होना है। यीशु के प्रेम को दिखाने के उत्तम ढंगो में से एक साधारण, प्रतिदिन की क्रियाएं है…
जैसा कि किसी को एक छोटा उपहार देना या एक उदास मित्र के साथ बातचीत आरम्भ करना जिसे एक मित्र की आवश्यकता है।
या अकेली माँ को कुछ खाने की वस्तुओं का थैला भरकर देना जो गली में रहती और भोजन प्राप्ति के लिए संघर्ष कर रही है।
प्रेम दिखाना मुस्कराने के समान और एक व्यक्ति जिस को आप गली में, या हॉल में, या दुकान पर मिलते को हैलो कहने के समान ही आसान हो सकता है।
यहां पर मसीह के प्रेम को दिखाने के बहुत से ढंग है। जब आप उसके प्रेम को किसी को दिखाते है, यह उस व्यक्ति के दिल को नम्र कर सकता, और इससे पहले कि आप इसे जानें, वह भी अन्यों तक पहुँचने और प्रेम को दिखाने के मार्गों को ढूंढ रहे होंगे।
इसलिए परमेश्वर के प्रेम का जश्न मनाएं और उसे आपकी अगुवाई करने दें। क्या वह अभी इसी समय किसी के बारे में आपके दिल में डाल रहा है?
मैं चाहती हूँ कि यीशु के लिए मेरा प्रेम उस ढंग में प्रकट हो जिस में मैं अपना प्रेम दूसरों को दिखाती हूँ-यहां तक कि उनको भी जिन्हें प्रेम करना मुश्किल हो सकता है। अगर मैं परमेश्वर के प्रेम के साथ एक सख्त दिल को नम्र कर सकूँ, तो शायद वह व्यक्ति प्रेम के साथ किसी दूसरे के हृदय को नम्र करेगा, तब वह किसी अन्य व्यक्ति तक पहुँचेगा, और परमेश्वर का प्रेम आगे चलता जाएगा…और शीघ्र ही हमारे पास प्रेम की एक क्रांति होगी!
आरंभक प्रार्थना
परमेश्वर, मैं चाहती हूँ कि आपके लिए मेरा प्रेम उस ढंग में दिखाया जाए जैसे मैं अन्यों के लिए करती हूँ। प्रत्येक को और कोई भी जो मेरे मार्ग में आता है उसके साथ प्रेम का प्रर्दशन करने के ढंग मुझे सिखाए।