गुप्त स्तुति की सामर्थ्य

गुप्त स्तुति की सामर्थ्य

परन्तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी (सबसे गुप्त) कोठरी में जा; और द्वार बंद कर के अपने पिता से जो गुप्त में है प्रार्थना कर। तब तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा। – मत्ती 6:6

जैसा कि यीशु ने हम से कहा है, कुछ बातें है जिन्हें हमें गुप्त रूप से करना है। ऐसे समय हैं जब मैं अपने सोने के कक्ष में जाती हूँ, दरवाज़ा बंद करती हूँ और प्रभु के सामने नाचती और आराधना करती हूँ कभी कभी रोती और कभी कभी हँसती हूँ। यदि किसी ने मुझे देखा होगा तो वे सोचते होंगे कि मुझे बाँध कर रखने की ज़रूरत है। नीजि रूप से मैं बिना किसी पूर्वाग्रह के स्वतन्त्रतापूर्वक अपने आपको अभिव्यक्त करती हूँ मुझे किसी के भ्रम में पड़ने या किसी को चोट लगने के विषय में चिन्तित होने की ज़रूरत नहीं है। यदि आप ये बातें खुलकर करते हैं तो संसार कहेगा कि आप पागल हैं। वे नहीं समझते कि आप कैसा महसूस करते हैं क्योंकि परमेश्वर के साथ उनका संबंध वैसा नहीं है जैसा आपका है। फिर भी आप उन्हें निजि रूप से कर सकते हैं। आपके और परमेश्वर के मध्य में और आप अपने जीवन में अच्छे फलों को विकसित होते हुए देखेंगे। फल वहाँ से आता है जहाँ परमेश्वर देखता है, परन्तु वहाँ से नहीं जहाँ लोग देखते हैं।

मैं विश्वास करती हूँ कि हम सभी का एक निजि स्थान होना चाहिए और प्रभु के सामने आनन्दित होना, उसके सामने दण्डवत् होना और उसके प्रति अपने हाथों को स्तुति में उठाना चाहिए और यदि ज़रूरत है तो उसकी स्तुति में रोना भी चाहिए। आराधना और स्तुति केवल कलीसियाई सभा तक सीमित नहीं होनी चाहिए। मैं सार्वजनिक रूप से प्रभु की आराधना करती हूँ जब मैं अन्य लोगों के साथ आराधना में एकत्रित होती हूँ और मैं अकेले में घर पर उसकी आराधना करती हूँ। निजि और सार्वजनिक आराधना दोनों बहुत महत्वपूर्ण हैं। मैं आपको इन दोनों में प्रवेश करने के लिए उत्साहित करती हूँ।

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