परन्तु (स्मरण) बात यह हैः जो थोड़ा बोता है, वह थोड़ा काटेगा भी; और जो बहुत बोता है, वह बहुत काटेगा। -2 कुरिन्थियों 9:6
क्या आप कभी किसी ऐसे व्यक्ति के साथ नाश्ता करने गए हों जिसका बिल चार सौ रूपया आया हो और उसे बखि़्शश देने के लिए अपने आपको यातना देते हुए पाया हो? उनके पास सौ रूपए वापस आते है और वे जानते हैं कि उसमें से पचास रूपए उठा लेना उन्हें कन्जूस बनाता है। फिर भी वे जानते हैं कि उनके पास सौ रूपए हैं। आपके जीवन पर नहीं यह बहुत अधिक होगा, इसके बदले में वे अपने जीवन के दस मिनट व्यर्थ गवाँ देते हैं उस दूसरे पचास के नोट पर। इसीलिए वे डेढ़ सौ रूपए छोड़ सकते और स्वयं कुछ रूपए बचा सकते हैं इतना पैसा देकर वे बहुत “अधिक उदारवादी” दिखें।
परन्तु क्या होता यदि वे सौ रूपए बखि़्शश के रूप में छोड़ देंगे? वे कुछ मूल्यवान समय को बर्बाद करने से बच जाएँगे। उनका समय निश्चय ही उनके लिए पचास रूपए से अधिक मूल्यवान है और वे उस वेटर के दिन को खुशनुमा कर देंगे। ये नहीं कि वह थोड़ा सा रूपए उस वेटर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है बल्कि वह संदेश जो वह पचास रूपए के साथ जाता है महत्वपूर्ण है। यह धन्यवाद कहता है और यह कहता है कि वेटर की किमत है। संभव है यह संदेश खो जाए और वह बिना गिने उस रूपए को अपने जेब में डाल ले; परन्तु उदारवादी व्यक्ति हमेशा आशीषित किया जाएगा। वह जानेगा कि उसने अच्छा काम किया है।
कैसा सुअवसर है! हम दूसरों की और अपनी खुशी को बढ़ा सकते हैं केवल थोड़ा सा पैसा खर्च करने के द्वारा! यह बहुत तरीको में से एक तरीके का छोटा सा उदाहरण है जिसमें छोटी बातें जो हम करते हैं अद्भुत रीति से बड़ा परिणाम लाती हैं। छोटी बातें हमारे दिनों को मज़बूत बनाती हैं। लोगों के लिए अतिरिक्त मील चलना चाहे वह थोड़ी लम्बी दूरी हो, एक अनापेक्षित टिप्पणी या उपहार या उनके लिए एक द्वार खोल के रखना आपके लिए बहुत कम मूल्य अदा करने वाला है लेकिन उनका परिणाम बहुत बड़ा होता है।