छोटी निराशाओं पर मनन न करें

छोटी निराशाओं पर मनन न करें

मैं तेरे उपदेशों पर ध्यान करूंगा, और तेरे मार्गों की ओर दृष्टि रखूंगा। – भजन संहिता 119:15

गहरे जख्म बड़ी निराशाओं से नहीं आते, जैसा कि जब हमें नौकरी या उन्नति जो हम सचमुच चाहते उनको पाने में असफल होते है। गहरे भावनात्मक जख्म छोटी पीड़ाओं और निराशाओं की एक श्रृंखला से आते है। इसलिए हमें यह जानना आवश्यक है कि कैसे छोटी, प्रतिदिन की निराशाओं को संभालना और उन्हें दृष्टिकोण में रखना है।

जब आप किसी बात पर निरंतर केन्द्रित रहते है, इसे मनन कहा जाता है। छोटी निराशाएं जो हर दिन आती है अपने आप में परेशान करने वाली होती है पर जब उनका ढेर लग जाता, तब किसी भी बात पर मनन करना लगभग असंभव प्रतीत होता है।

पर आपकी समस्याओं पर केन्द्रित और निराश होने की बजाए, परमेश्वर और आपके लिए उसके वायदों पर केन्द्रित रहें। जीवन आपको नीचे गिरा सकता है, पर आपको नीचे ही गिरे नहीं रहना है। परमेश्वर तैयार, इच्छुक और आपको उठाने के लिए तत्पर है।

जब निराशाएं आपको दबाती है, आप या तो उन्हें आपको दबाने की अनुमति दे सकते, या आप अच्छी बातों के लिए उन्हें प्रारंभिक करके इस्तेमाल कर सकते है। परमेश्वर के ढंगो पर मनन करने के द्वारा निराशाओं के आरम्भ में इसका सामना करना चुनें। उसके पास आपके लिए अच्छी बातें है, और वह निराशा को हराने में आपकी सहायता करेगा।


आरंभक प्रार्थना

परमेश्वर, भजन संहिता 119:15 कहती है, मैं आपके वचन पर मनन करूँगी, नाकि उन छोटी निराशाओं पर जो मुझे दबाने का प्रयास करती है। आपका वचन शक्तिशाली और जीवन देने वाला है, इसलिए मैं जानती हूँ कि आप पर नज़रें लगाने के द्वारा मैं निराशा पर जय पा सकती हूँ!

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