जंगल में वफादार

जंगल में वफादार

हे परमेश्‍वर, तू मेरा परमेश्‍वर है, मैं तुझे यत्न से ढूँढ़ूँगा; सूखी और निर्जल ऊसर भूमि पर, मेरा मन तेरा प्यासा है, मेरा शरीर तेरा अति अभिलाषी है। भजन संहिता 63:1

आखिरकार, हम प्रभु से कितना भी प्रेम क्यों न करें और उसके कितने भी करीब क्यों न हों, तौभी हम सभी सूखे समय से गुजरते हैं …. ऐसे समय जब कुछ चीजें हमारी सहायता करती हैं या हमारे प्राण को तृप्त करती हैं। हम चर्च जाते हैं, लेकिन जब हम चर्च से बाहर आते हैं तब हम चर्च में आने पर जैसा महसूस करते हैं उससे कुछ अलग महसूस नहीं करते हैं। हम ऐसे समयों का अनुभव करते हैं जब हमारी प्रार्थनाएं सूखी लगती हैं, और जब हम परमेश्वर से कुछ भी सुन नहीं पाते या महसूस नहीं कर पाते हैं।

मैं पहाड़ की चोटी के समान कई समयों से गुज़री हूं, और मैं घाटी के समान समयों से भी गुज़री हूं। मेरे प्रार्थना जीवन में और मेरी स्तुति तथा आराधना में सूखा समय रहा है। ऐसे समय रहे हैं जब मैं परमेश्वर से स्पष्ट रूप से सुन सकती थी, लेकिन कई बार ऐसे भी समय रहे हैं जब मैंने कुछ भी नहीं सुना है।

जब आप इस तरह के हालातों से गुजरते हैं, तब इन्हें आप पर हावी न होने दें। परमेश्वर आपके साथ है, चाहे आप उसकी उपस्थिति को महसूस करें या न करें। परिपक्व विश्वासी उसको कैसा महसूस होता है इस बात पर परमेश्वर के साथ उसके रिश्ते को निर्धारित नहीं होने देता है। आप बस यह विश्वास करना चुन सकते हैं कि परमेश्वर आज आपके साथ है। आप विश्वास के साथ परमेश्वर से प्रेम करने और उसकी आराधना करने का चुनाव कर सकते हैं। आप प्रार्थना कर सकते हैं, विश्वास रख सकते हैं कि वह आपकी सुनता है, और यह भरोसा रख सकते हैं कि वह आपकी जरूरत की हर चीज प्रदान करने वाला है। जब आप ये चुनाव करते हैं, तब आपको प्रभु के साथ चलने में एक नई शांति प्राप्त होगी, और आप जीवन के हर स्थिति में स्थिर रहेंगे।


परमेश्वर आपसे प्रेम करता है और वह यहीं आपके साथ है – चाहे आप इसे महसूस करें या न करें। जंगल में और पहाड़ की चोटी पर भी वफादार रहें।

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