
परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिसने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं। -रोमियों 8:37
हममें जयवन्त की भावना होने की ज़रूरत है। रोमियों 8:37 में पौलुस हमें निश्चय दिलाता है कि मसीह यीशु के द्वारा हम जयवन्त से बढ़कर हैं। उस सच्चाई को विश्वास करना है हमें आत्मविश्वास दिलाता है। मैंने एक बार सुना कि एक महिला एक जयवन्त से बढ़कर है यदि उसका पति बाहर चला जाता है, सप्ताह भर कार्य करता है और अपनी तनख्वाह को घर ले आता है। परन्तु परमेश्वर ने मुझ से बात किया और कहा, “कि तुम एक जयवन्त से बढ़कर हो, जब तुम यह बात जानते हो कि तुम्हारे पास समस्या से बढ़ने से पहले ही विजय है।”
कभी कभी हमारा विश्वास डगमगा जाता है जब परीक्षाएँ आती हैं, विशेष करके जब वे लम्बे समय तक हों। हमें परमेश्वर के प्रेम पर बहुत अधिक भरोसा होना चाहिए चाहे हमारे विरोध में कुछ भी आए। हम गहरे अन्तर्मन में जानते हैं कि हम जयवन्त से बढ़कर हैं। यदि हम सचमुच में भरोसा रखते हैं तो हमें कष्टों से, चुनौतियों से, या समय के इस्तेमाल से डरने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि हम जानते हैं कि वे गुज़र जाएँगे! जब कभी किसी प्रकार की परीक्षा आपके विरोध आती है हमेशा स्मरण रखें यह भी गुज़र जाएगी। परीक्षा के दौरान भरोसा रखिए और आप कुछ ऐसा सिखेंगे जो आपको भविष्य में सहायता करेगा।
बिना आत्मविश्वास के हम हर मोड़ पर घबरा जाते हैं। शैतान एक बॉम डालता है और हमारे स्वप्न बिखर जाते हैं। क्रमशः हम पुनः शुरू करते हैं परन्तु कभी भी उन्नति नहीं कर पाते। हम प्रारंभ करते हैं और बार बार हराए जाते हैं। परन्तु वे जो लगातार भरोसा रखते हैं वे जो जानते हैं कि वे मसीह यीशु के द्वारा जयवन्त से बढ़कर हैं, वे तेज़ विकास करते हैं।
हमें विश्वास से कदम उठाने और हर बात में निर्णय लेने की ज़रूरत है। कई अवसरों पर परमेश्वर को हमें सुधारने की ज़रूरत हो सकती है। परन्तु सुरक्षित खेल खेलने या कभी कुछ नहीं करने से अच्छा है भरोसा रखनेवाले लोग कार्य को पूरा करते हैं। उनके पास सेवकाई है जो आज संसार में एक अंतर ला रहा है। वे परिपूर्ण हैं क्योंकि वे अपने स्वयं में सफ़ल होते हैं।