
हर एक बात का एक अवसर और प्रत्येक काम का, जो आकाश के नीचे होता है, एक समय है। -सभोपदेशक 3:1
संसार के अधिकांश लोग हमेशा जल्दि में रहते हैं। फिर भी बहुत कम लोग जानते हैं कि वे कहाँ जा रहे हैं। यदि हम अपने में शांति से रहना चाहते और जीवन का आनंद उठाना चाहते हैं तो हमें हर समय जल्दी करना रोकना होगा। लोग अगले कार्यक्रम के लिए जल्दी करते हैं जिसका उनके लिए कोई सच्चा अर्थ नहीं है या उन्हें उसमें शामिल होने की ज़रूरत भी नहीं है। जल्दबाज़ी इस ईक्कीसवीं सदी का मुख्य नारा है। जल्दि करना एक महामारी का रूप ले लिया है। हम बहुत अधिक जल्दबाज़ी करते हैं और अन्ततः एक ऐसे स्थान पर पहुँच जाते हैं जहाँ पर हम धीमे नहीं हो सकते।
हम उन दिनों को स्मरण कर सकते हैं जब मैंने कठिन कार्य किए और बहुत अधिक जल्दि किए कि मैं थोड़ा सा विश्राम भी कर लेती तो मेरे धीमे होने से पहले ही वह विश्राम का समय समाप्त हो जाता। जल्दबाज़ी करना निश्चय ही मेरे जीवन में “शांति चुराने वालों” में से एक थी और अभी भी हो सकती है यदि मैं उसके दबाव के प्रति सतर्क नहीं रहती हूँ। जीवन बहुत मूल्यवान है। मैं कभी कभी पाती हूँ कि एक दिन क्षणभर में समाप्त हो गया। उसके अन्त में मैं जानती हूँ कि मैं पूरे दिन बहुत व्यस्त रही, फिर भी मैं सचमुच में याद नहीं कर पाती कि मैंने अधिक आनंद लिया हो इनमें से किसी बात का। मैंने परमेश्वर के समरूपता में चीज़ों को करना सीखने का समर्पण किया है न कि संसार का।
यीशु कभी भी जल्दबाज़ी में नहीं था जब वह इस पृथ्वी पर था और निश्चय ही परमेश्वर भी जल्दबाज़ी में नहीं है। सभोपदेशक 3:1 कहता है, “हर एक बात का एक अवसर और प्रत्येक काम का, जो आकाश के नीचे होता है, एक समय है।” हमको अपने जीवन की प्रत्येक बातों के लिए उसके समय को ठहरना है कि हम अगले की ओर दौड़ने की जल्दबाज़ी से बचकर उसका आनंद उठा सकते हैं।