जिससे परमेष्वर प्रेम करता है, उसे वह सुधारता भी है

जिससे परमेष्वर प्रेम करता है, उसे वह सुधारता भी है

क्योंकि प्रभु जिससे प्रेम करता है, उसकी ताड़ना भी करता है, और जिसे पुत्र बना लेता है, उसको कोड़े भी लगाता है। -इब्रानियों 12:6

जब हमें सुधार की ज़रूरत होती है-और ऐसे समय हैं जब सबको इसकी ज़रूरत है-मैं विश्वास करती हूँ कि प्रभु की पहली इच्छा हमें स्वयं को सुधारना है। जिससे परमेश्वर प्यार करता है उसे वह ताड़ना भी देता है। परमेश्वर का सुधार या ताड़ना एक बुरी बात नहीं है। यह हमेशा और अन्ततः हमारी भलाई के लिए है।

यह सच्चाई है कि यह हमारी भलाई के लिए कार्य करती है। परन्तु इसका यह तात्पर्य नहीं है कि हमेशा हमें इससे अच्छा महसूस होता है या यह कुछ ऐसा है जो तुरन्त हम जिसका आनंद उठा सकते हैं। “वर्तमान में हर प्रकार की ताड़ना आनंद की नहीं पर शोक ही की बात दिखाई पड़ती है, तौभी जो उसको सहते सहते पक्के हो गए है बाद में उन्हें चैन के साथ धर्म का प्रतिफल मिलता है।” (इब्रानियों 12:11)

सुधार कई एक लोगों के लिए या अधिकांश लोगों के लिए स्वीकार करने के लिए कठिन बातों में से एक है। विशेष करके जब वह दूसरे व्यक्ति के द्वारा आता है। चाहे हमारे पास समस्याएँ हों, हम नहीं चाहते हैं कि दूसरे जाने कि हमारी ऐसी समस्याएँ हैं। मैं विश्वास करती हूँ कि परमेश्वर हमें गुप्त में सुधारना चाहता है परन्तु यदि हम उसके सुधार को नहीं स्वीकार करते हैं या यदि हम नहीं जानते कि हमें उसे गुप्त में सुधारने के लिए कैसे अनुमति दें तो वह हमें सार्वजनिक रूप से सुधारता है। और उन सभी श्रोतों को इस्तेमाल करता है जिसे उसे करने की ज़रूरत है। शायद हम हर समय उन श्रोतों को पसंद नहीं करेंगे जिन्हें परमेश्वर इस्तेमाल करने के लिए चुनता है परन्तु सुधार को स्वीकार करना “पुनः पहाड़ की तरफ़ जाना।” (व्यवस्थाविवरण 2:3 देखिए)

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