
इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारे मन के नए हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिससे तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो। -रोमियों 12:2
मेरा शरीर इस प्रकार से ढाला गया है कि मैं ऊपर आठ नंबर का और नीचे दस नंबर का कपड़ा पहन सकूँ। मैं हमेशा इस प्रकार रही हूँ। बहुत सारे सुंदर वस्त्र हैं जिन्हें मैं नहीं खरीद सकती हूँ क्योंकि वे मेरे आकार के नहीं हैं। मैं दो कपड़े खरीद सकती थी और ले सकती थी जिनकी मुझे ज़रूरत थी। तब मैं महसूस करती कि मुझे और एक और व्यक्ति को ढूँढ़ना था जो नीचे आठ नम्बर के और ऊपर दस नम्बर के कपड़े पहन सकती है। इसलिए ताकि मैं बर्बाद करनेवाली न बनू! पूरी परिस्थिती मुझे निराश करनेवाली थी जब तक मैंने निर्णय नहीं लिया, “जो है ऐसा ही है।”
अब मैं इस विषय में अधिकांशतः थी। और हँसना बहुत महत्वपूर्ण आदत है विशेष करके जब आप बूढ़ापे की ओर बढ़ते हैं। यदि आपके पैर ज़रूरत से अधिक लम्बे हों आपका शरीर सिद्धता लिए हुए नहीं हों या आपकी लम्बाई उससे कम हो जितना आपको होना चाहिए था। यह बात आपको कभी निराश करने न पाए। अभी निर्णय लीजिए, “जो है ऐसा ही है।”
मुझे जो दिया गया है उसके साथ मैं प्रसन्न रहूँगी और उसके साथ मैं अपना सर्वश्रेष्ठ करूँगी। कभी भी मत भूलिए कि परमेश्वर चाहता है कि आप अपने शरीर से और अपने आप से प्रेम करें। वह इसकी अपेक्षा करता है चाहे संसार ने आपको कोई भी संदेश क्यों न दिया हो। जैसा कि बाइबल कहती है, “इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारे मन के नए हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिससे तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो।” (रोमियों 12:2) अपने विषय में एक नई रीति से सोचिए। सर्वश्रेष्ठ आप बनने के लिए जितना आप बन सकते हैं और वह बनने का प्रयास करना बंद कर दीजिए जो संसार आपको कहता है कि आपको होना चाहिए।
संसार आपसे बहुत सी बातें कह सकता है, वह आपके कानों में झूठ को फुसफुसाता है और उनमें से बहुत सारी बातें कू्रर होती हैं। वह बदलता भी है और अपने दृष्टिकोण को हर माह बदलता रहता है। यदि आप उसकी अगुवाई में चलना प्रारंभ करते हैं तो आप स्वयं को खो देंगे। आपके साथ आपकी मित्रता हो जाएगी परन्तु उसके बजाए यदि आप अपने आपको उस प्रकार देखेंगे जिस प्रकार परमेश्वर आपको देखता है, तो न केवल आप अपने से प्रेम करेंगे परन्तु अपने में भरोसा और विश्वास भी रखेंगे कि संसार में भलाई की सामर्थ्य बने।