ज्यादा की उम्मीद रखें

मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। (यूहन्ना 16:12)

यीशु ने आज के वचन के शब्द उसके शिष्यों के साथ बोले थे, बुनियादी तौर पर उन्हें यह बताते हुए कि सब जो कहना था उसके लिए वह अभी तैयार नहीं थे, पर यह वायदा करते हुए कि पवित्र आत्मा आएगा और सभी सच्चाई में उनकी अगुवाई करेगा (देखें 16:13)। उसने यह भी वायदा किया कि पवित्र आत्मा हमें निरंतर सभी बातें सिखाएगा और वह सब हमें याद कराएगा जो परमेश्वर ने उसके वचन के द्वारा कहा था (देखें यूहन्ना 14:26)।

जब यीशु ने इन शब्दों को बोला, वह उन मनुष्यों के साथ बात कर रहा था जिनके साथ उसने पिछले तीन साल व्यतीत किए थे। वह दिन रात उसके साथ रहे थे, फिर भी उसने संकेत किया कि उसने अभी और सिखाना था। हम यह सोच सकते है कि अगर यीशु व्यक्तिगत तौर पर दिन रात तीन सालों तक हमारे साथ होता, तो हम ने सब जो जानना चाहिए वह उससे सीख लिया होना था। मैं सोचती हूँ कि अगर मैं एक महीना बिना बाधा लोगों के साथ रहूँ, तो मैं सब जो जानती हूँ उन्हें बता दूँगी। पर यीशु ने और की उम्मीद रखने के लिए कहा था क्योंकि हर नई स्थिति जिसका हम सामना करते उसके बारे में कहने के लिए सदा कुछ होता है। परमेश्वर का प्रकाश और उसका वचन प्रगतिशील है। जब हम उस में परिपक्व होते है, तब हम वो समझ सकते जो हम पहले नहीं समझ पाए थे। हम दस बार पवित्र शास्त्र की एक आयत को पढ़ सकते और फिर हम कुछ ऐसा देख सकते जो हम ने पहले नहीं जाना था। अगर आप हर दिन जो वह कह रहा और प्रकट कर रहा उस पर ध्यान देते है तो आप परमेश्वर से कुछ सिखाने की उम्मीद रख सकते है।


आज आप के लिए परमेश्वर का वचनः हर दिन पवित्र आत्मा से कुछ नया सीखाने की उम्मीद रखें। जो आप सीखते है उसे लिख कर रखें।

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