
परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलनेवाला सहायक। इस कारण हम को कोई भय नहीं चाहे पृथ्वी उलट जाए, और पहाड़ समुद्र के बीच में डाल दिए जाएँ। -भजनसंहिता 46:1-2
मैंने मेरे जीवन में बहुत से तुफानों का सामना किया है-कुछ जैसा कि अचानक दोपहर को तुफान जो कि गर्मी के समय में आम होते है और कुछ ऐसे जैसा कि चार प्रचंड तूफानों के समान प्रतीत होते है।
अगर मैंने इन तूफानों के मौसम के बारे कुछ सीखा है तो वह यह है, कि यह सदा तक नहीं रहते है, और मुझे उन के मध्य में कुछ बड़े निर्णय लेने की जरूरत नहीं है।
विचार और भावनाएं संकट की स्थिति में बेहद प्रचंड होती है, पर वही वह समय होते है जिन में हमें निर्णय करने के बारे सावधान होने की आवश्यकता होती है। मैं अक्सर स्वयं में सोचती हूँ, निर्णय लेने से पहले भावनाओं को शांत होने दें।
हमें शांत रहना चाहिए और जो हम कर सकते हैं वह करने के लिए स्वयं को केन्द्रित करते अनुशासित करना चाहिए, और जो हम नहीं कर सकते वह करने के लिए परमेश्वर पर भरोसा करना चाहिए।
चिंता और भय में डूबने की बजाए, परमेश्वर के साथ संपर्क में आए, जो तूफान को बीतते देखता और बड़ी तस्वीर को रचता है।
वह सुनिश्चित करता है कि सबकुछ जो हमारे जीवनों में होने की आवश्यकता है वह सही समय पर हो, उचित गति से आगे बढ़े, और उस मंजिल पर हमें सुनिश्चित पहुँचाने का कारण दें जो उसने हमारे लिए योजना बनाई थी।
आरंभक प्रार्थना
परमेश्वर, मैं जानती हूँ कि मैं सबकुछ पर नियंत्रित नहीं कर सकती, इसलिए मैं जो कर सकती वह करूँगी और जो मैं नहीं कर सकती वह करने के लिए आप पर भरोसा करती हूँ। जीवन के तुफान मुझे नियंत्रित नहीं करते है। मैं मेरे लिए आपकी योजनाओं पर भरोसा करती हूँ।