ये लोग तो थिस्सलुनीके के यहूदियों से भले थे, और उन्होंने बड़ी लालसा से वचन ग्रहण किया, और प्रतिदिन पवित्रशास्त्रों में ढूँढ़ते रहे कि ये बातें योंहीं हैं कि नहीं। प्रेरितों के काम 17:11
बाइबल कहती है कि हमें तैयार मन रखना है। इसका अर्थ है कि हमारे पास ऐसे मन हो सकते हैं जो हमारे लिए परमेश्वर की इच्छा के लिए खुले हों, चाहे उसकी इच्छा कुछ भी क्यों न हो।
मैंने एक बार एक युवती से बात की, जिसने सगाई टूटने के दुःख का अनुभव किया था। वह चाहती थी कि उसका रिश्ता जारी रहे और वह सोच रही थी, उम्मीद कर रही थी और विश्वास कर रही थी कि उसकी पूर्व मंगेतर भी ऐसा ही महसूस कर रहा होगा।
मैंने उसे सलाह दी कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो “तैयार मन” रखें। उसने पूछा, “ठीक है, क्या यह नकारात्मक नहीं है?”
नहीं, ऐसा नहीं है। नकारात्मकता कहेगी, “मेरा जीवन समाप्त हो गया है। कोई मुझे कभी नहीं चाहेगा। मैं हमेशा दुःखी ही रहूंगी।”
एक सकारात्मक मन कहता है कि, “मैं सचमुच दुःखी हूं कि ऐसा हुआ, लेकिन मैं परमेश्वर पर भरोसा रखूंगी। मैं हमारे रिश्ते को बहाल करने के लिए मांगने और विश्वास करने जा रही हूं; लेकिन किसी भी चीज़ से बढ़कर, मैं चाहती हूं की परमेश्वर की सिद्ध इच्छा पूरी हो। यदि यह मेरी इच्छा के अनुसार नहीं हुआ तौभी मैं जीवित रहूंगी, क्योंकि यीशु मुझ में निवास करता है। यह कठिन हो सकता है, लेकिन मुझे प्रभु पर भरोसा है। मुझे विश्वास है कि अंत में, सब कुछ सबसे अच्छा ही निर्माण होगा।”
आने वाली हर स्थिति में सकारात्मक रहने का अभ्यास करें। इस समय आपके जीवन में जो कुछ भी हो रहा है, उसमें से परमेश्वर ने भलाई निर्माण करने का वादा किया है।