दर्द नहीं, कोई फल नहीं

दर्द नहीं, कोई फल नहीं

[यहोवा ने] मुझे इसलिये भेजा है कि खेदित मन के लोगों को शान्ति दूं; कि बन्दियों के लिये स्वतंत्रता का और कैदियों के लिये छुटकारे का प्रचार करूं; …कि सब विलाप करनेवालों को शांति दूं। और सिय्योन के विलाप करनेवालों के सिर पर की राख दूर करके सुन्दर पगड़ी बाँध दूँ, कि उनका विलाप दूर करके हर्ष का तेल लगाऊं और उनकी उदासी हटाकर यश का ओढ़ना ओढ़ाऊं; जिस से वे धर्म के बांजवृक्ष और यहोवा के लगाए हुए कहलाएं और जिससे उसकी महिमा प्रगट हो। —यशायाह 61:1-3

भावनात्मक पूर्णता की ओर बढ़ते समय, यहां तक कि पवित्र आत्मा की अगुवाई में भी, भावनात्मक घावों से चगाई पाने की प्रक्रिया का दर्द शारीरिक दर्द का अनुभव करने की तुलना में अधिक दर्दनाक हो सकता है। क्योंकि मैंने मेरे जीवन के शुरुआती दिनों में बहुत अधिक भावनात्मक दर्द का अनुभव किया था, मैं दर्द से थक गयी थी। मैं पवित्र आत्मा की अगुवाई का अनुसरण करके चंगाई पाने का प्रयास कर रही थी, फिर भी मैं यह नहीं समझ पाई कि यह प्रक्रिया इतनी दर्दनाक क्यों थी।

प्रभु ने मुझे बताया कि मैं कई “दर्द के द्वारों” के पीछे छिपी हुई थी। मैं गहरे बंधन में थी, झूठे व्यक्तित्वों, दिखावों, और मुखौटों के पीछे शरण लेते हुए। मुझे समझ में आने लगा था कि जब लोग बंधन से मुक्ति की ओर बढ़ते हैं, तब उन्हें उन द्वारों के दूसरी तरफ जाने के लिए दर्द के समान द्वारों से गुजरना पड़ता है। वे उनके प्रारंभिक दर्द की भावनात्मक प्रतिक्रियाओं से गुजरते हैं क्योंकि प्रभु उन्हें उन मुद्दों, लोगों और सच्चाई का सामना करने के लिए प्रेरित करते हैं जो कठिन होते हैं। अच्छी खबर यह है कि हमें खुद उनका सामना नहीं करना है। वह हमेशा आपके निकट है, और यदि आप उसे अनुमति देंगे तो वह आपको चगाई के स्थान पर लाएगा।


परमेश्वर को धन्यवाद दें, वह मन के खेदित लोगों को चंगा करता है, जेल के द्वारों खोलता है, और बंदियों को मुक्त करता है! आपको आपके अतीत के दर्द में नहीं जीना है!

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