देख, मैं द्वार पर खड़ा खटखटाता हूं; यदि कोई मेरा शब्द सुन कर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आ कर उसके साथ भोजन करूँगा, और वह मेरे साथ। (प्रकाशितवाक्य 3:20)।
जब मैंने मेरे जीवन में पवित्र आत्मा की सेवकाई की पूर्णता के लिए मेरे दिल के द्वार को खोला, वह मेरे साथ बात करना और मेरे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र के बारे में मेरे साथ हल करना आरम्भ हो गया, यहां पर कुछ भी ऐसा नहीं था जिसमें वह शामिल नहीं था। मुझे पसंद था, पर मुझे यह पसंद नहीं आया, आप समझ गए होंगे कि मेरा क्या अर्थ है।
परमेश्वर ने मुझ से बात कि की कैसे मैं लोगों से और उनके बारे में बात करती थी। उसने मुझे से बात की कैसे मैंने अपना पैसा खर्च किया, कैसे मैंने कपड़े पहने, कौन मेरे मित्र थे, और क्या मैंने मनोरंजन के लिए किया था। उसने मेरे साथ मेरे विचारों और मेरे रवैये के बारे में बात की। मैंने पहचाना कि वह मेरे गहरे भेदों को जानता था और कुछ भी उससे छिपा नहीं था। वह मेरे जीवन में “रविवार की सुबह का स्थान” ही नहीं रखता था, पर ऐसा प्रतीत होता था कि वही पूरे घर को चला रहा था! मैं कभी भी जानती नहीं थी कि कब वह मेरे साथ मेरे जीवन में किसी भी बात के बारे में बात करना आरम्भ हो जाएगा। जैसा कि मैंने वर्णन किया, यह उत्साहित करने वाला था, पर यह चुनौती भरा भी था क्योंकि मैं जानती थी कि उसका मुझसे बात करना मेरे जीवन में बहुत से बदलाव को लाएगा।
हम सभी कुछ क्षेत्रों में बदलाव को चाहते है, जब यह आता है, यह डरावना हो सकता है। हम अक्सर चाहते है हमारे जीवन बदलें, पर हमारी जीवनशैली नहीं। हो सकता जो हमारे जीवन में है हम उसको पसंद ना करे, पर हम अचम्भा करते कि इसके विकल्प होते तो अच्छा होता। हम चिंतित हो सकते या हमारे जीवनों पर नियंत्रण खोने और किसी अन्य को अनुमति देने का डर रखते हो सकते जिसे हम देखना पसंद नहीं करते।
परमेश्वर की आवाज को सुनना और आज्ञा पालन करना जब वह हमारे जीवनों में काम करता है का अर्थ उसकी प्रसन्नता और महिमा के लिए जीवन व्यतीत करना है, हमारी अपनी नहीं। हम हमारे जीवनों के प्रत्येक क्षेत्र में उसके लिए द्वार खोलने को बैचेन या भयभीत हो सकते है, पर मैं आपको गारंटी देती हूं कि यह मूल्यवान होगा।
आज आप के लिए परमेश्वर का वचनः आपके जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में परमेश्वर को निमंत्रण दें।