“चुप हो जाओ, और जान लो (पहचानो और समझो) कि मैं ही परमेश्वर हूँ। मैं जातियों में महान हूँ। मैं पृथ्वी भर में महान हूँ।” -भजन संहिता 46:10
यदि हम सचमुच में परमेश्वर से सुनना चाहते हैं तो हम विषयों को संकिर्ण करके कि केवल वही सुनें जो हम सुनना चाहते हैं। सुनने का विषय चुनाव करके उसके पास नहीं जा सकते हैं। लोग परमेश्वर की आवाज़ को सुनने के लिए समय निकालते हैं जब उनके पास ऐसे मुद्दे होते हैं जो उनका हल वे चाहते हैं। यदि उनकी कोई समस्या या चिंता, उनकी नौकरी के विषय में है या उन्हें बुद्धि की ज़रूरत है कि किस प्रकार अधिक समृद्धि पाए या किस प्रकार एक बच्चे के साथ व्यवहार करें तो उनके पास सुनने के लिए पूरा समय रहता है कि परमेश्वर को क्या कहना है।
परमेश्वर के पास केवल तभी मत जाइए जब आपको कोई ज़रूरत हो या कुछ चाहिए। उसके साथ सुनने के द्वारा समय व्यतीत कीजिए। वह बहुत सारे बातों को खोलेगा यदि आप उसके सामने शांत और सुनते रहें।
बहुत से लोगों के लिए सुनना एक योग्यता है जिसका विकास सुनने के द्वारा अवश्य किया जाना चाहिए। मैं हमेशा एक बात करनेवाली रही हूँ और कभी भी बात करने का प्रयास नहीं करना पड़ा। परन्तु मुझे उद्देश्यपूर्वक सुनना सीखना था। प्रभु कहता है, “चुप हो जाओ, और जान लो कि मैं ही परमेश्वर हूँ।” (भजन संहिता 46:10) हमारी देह ऊर्जा से भरी हुई है और सामान्यतः कुछ करने के द्वारा कार्यशील रहना चाहता है। इसलिए हमारे लिए शांत रहना कठिन है।
जब आप परमेश्वर से कुछ माँगते हैं तो सुनने के लिए समय निकालिए। चाहे वह उसी समय उत्तर न दे वह सही समय पर उत्तर देगा। जब परमेश्वर आपसे बात करने का निर्णय करता है तो आप कुछ साधारण कार्य कर रहे होंगे। परन्तु उसके साथ संगति के भाग के रूप में आपने सुनने के द्वारा उसका आदर किया है। यदि आदर किया है तो वह सही समय पर आपसे बात करेगा।