वह व्यक्ति दुचिता (झिझकने वाला, अनिश्चित, विघटक) है और (वह) अपनी सारी बातों में (उसके विचार, भावनाएँ, निर्णय) चंचल है। -याकूब 1:8
परिस्थिती या समस्या चाहे कुछ भी हो निर्णय हमेशा संदेह और निर्णय से अच्छा ही होता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी से आपकी लड़ाई हुई है तो क्षमा माँगने का निर्णय करना क्रोध में बने रहने और अक्षमा, कड़वाहट और बदले की भावना से भरे रहने से आसान है जबकि आप इंतज़ार कर रहे हैं कि दूसरा व्यक्ति आप से क्षमा माँगे। शांति बनाने वाले बनिए और आप बहुत सारी प्रसन्नता पाएँगे। मैंने बहुत सारे वर्ष लड़ाई करते हुए व्यतीत किए और मेरा विश्वास कीजिए जो कीमत मैंने चुकाई वह बहुत ज़्यादा थी। उसके बदले में मैंने अपना आनंद, अपनी शांति और कभी कभी मैंने अपना स्वास्थ्य भी चुकाया है। यीशु के पास एक रास्ता है, हम इसे उसकी रीति से कर सकते हैं और जीवन का आनंद उठा सकते हैं। अनिर्णय बहुत सारा समय बर्बाद करता है, और समय बहुत ही बहुमूल्य है।
एक निर्णय लेनेवाला व्यक्ति बनिए और आप बहुत कम प्रयास में अधिक काम करेंगे। बिना गलती के कोई भी परमेश्वर की सुनना नहीं सीखते हैं। गलतियों के प्रति अधिक चिन्तित मत होइए, अपने आपको बहुत गंभीरता पूर्वक मत लीजिए। आप एक गिरनेवाली मानवजाति हैं, एक न गिरनेवाला ईश्वर नहीं। अपनी गलतियों से सीखिए, जिन्हें आप सुधार सकते हैं उन्हें आप सुधारिए और लगातार निर्णात्मक बने रहिए। पुनः अनिर्णात्कता रीति और दो दिमाग़ वाले मत बनिए केवल इसलिए कि आप कुछ समयों के लिए गलत है। यदि आप महसूस करते हैं कि परमेश्वर आपसे कुछ बात कर रहा है कि आप कुछ दें तो उसे कीजिए! अपने मन से उसे निकाल दीजिए, कुछ कार्य कीजिए और बीज बोइए। यदि आप विश्वास करते हैं कि ये सही है तो इसे कीजिए। इसी बात से आप निश्चय कर पाएँगे।
परमेश्वर की बाट जोहने में कुछ समय समर्पित कीजिए। शारीरिक उत्तेजनाओं का अनुकरण मत कीजिए परन्तु अपने हृदय का अनुकरण कीजिए। स्वयं से मत डरिए! गलती करनेवाले आप पहले व्यक्ति नहीं होंगे न ही आप अन्तिम व्यक्ति होंगे। पराजय का भय हज़ारों लोगों को अनिर्णात्मकता के संदेह में फँसा देता है जो निश्चित ही आनंद को चुरा लेता है और जीवन को कठिन बना देता है। निर्णय लेने और उसे करने से मत डरिए और बस इसे कीजिए!