मनुष्य की गति यहोवा की ओर से दृढ़ होती है, और उसके चलन से वह प्रसन्न रहता है। -भजनसंहिता 37:23
मसीही जीवन एक यात्रा के समान हो सकता है। पवित्र आत्मा हमारा मागदर्शक है …वह प्रतिदिन हमारी अगुवाई करता है। और वह सदैव जो हमारे जीवनों के लिए उत्तम उसमें हमारा मागदर्शन करता है। एक सफल और आनन्दायक यात्रा के लिए कुंजी उसके पीछे चलना है।
पर परमेश्वर के पीछे चलने का क्या अर्थ है? बुनियादी तौर पर, इसका अर्थ उसकी आज्ञा पालन करना, उसकी अगुवाई में चलना, और जो वह कहता वो करना है।
बहुत बार हम परमेश्वर के आगे हो जाते है। हम सोच सकते हैं कि हमें पता हैं कि कौन सी दिशा उत्तम है या हम उसके समय के साथ अधीर हो जाते है और गलत दिशा की तरफ मुड़ जाते क्योंकि यह शीघ्र जाता प्रतीत होता है। समस्या यह है कि, एक बार जब हम पहचानते कि यह मार्ग एक गतिरोध की तरफ ले जाता है, तो हमें उस पूरे मार्ग की तरफ पीछे जाना पडेगा जहां से हम ने गलत मार्ग लिया था।
सुसमाचार यह है, परमेश्वर वहां है, और पुनः अगुवाई करके सही मार्ग हमें दिखाने के लिए इंतजार कर रहा है।
प्रभु ने हम में से प्रत्येक के लिए योजना बनाई हुई है। हमें पूरी तरह समझना है कि वह हम से प्रेम करता है, कि वह भला और धर्मी है और यह कि हम उस पर भरोसा कर सकते है।
जो हमारे लिए सही है उसे दिशा में नेतृत्व करने के लिए हम उस पर भरोसा कर सकते हैं। जब हम भटक जाते हैं तो हमें सुधारने और सही जगह वापस लौटने के लिए अगुवाई करने में हम उस पर भरोसा कर सकते हैं। हम हमारे मार्ग में दूसरों के साथ उस पर भरोसा कर सकते हैं। हम हमारे जीवन…के समय के लिए उस पर भरोसा कर सकते है।
पवित्र आत्मा की अगुवाई का अनुसरण करें, क्योंकि वह मार्ग को जानता है और वह सदा आपके साथ बना रहेगा। आपके जन्म से पहले जो लम्बा जीवन उसने आपके लिए योजना बनाया हुआ था उस सब में आपकी अगुवाई करने के लिए उस पर भरोसा करें। और यात्रा का आनन्द लें।
आरंभक प्रार्थना
परमेश्वर, आपका वचन कहता है कि आप धर्मी के कदमों का मार्गदर्शन करते है। मैं मेरे लिए जो यात्रा आपके पास है उसमें मार्गदर्शन के लिए आप पर भरोसा करती हूँ, और मैं जानती हूँ कि जब मैं रास्ते से भटक जाती हूँ, तब आप मुझे सदैव वापस लौटने और मुझे चलता रखने में सहायता करेंगे।