कि उसके उस अनुग्रह की महिमा की स्तुति हो, जिसे उसने हमें उस प्रिय में सेंतमेंत दिया। इफिसियों 1:6
यह परमेश्वर की इच्छा नहीं है कि हम हमारे जीवन में निराश और दोषी महसूस करें। वह चाहता है कि हम यह जान लें कि हम उसकी संतान हैं, और हम उसे प्रसन्न करते हैं।
बहुत सी आवाजें हमें यह बताने की कोशिश कर रही हैं कि हम कौन और क्या नहीं हैं, लेकिन जितना अधिक हम परमेश्वर के करीब आते हैं, उतना ही अधिक हम उसे हमें यह बताते हुए सुनते हैं कि हम कौन हैं—मसीह में धर्मी, हमारे स्वर्गीय पिता के प्रिय और उसे प्रसन्न करने वाले।
शैतान हमें बताता है कि हम हमारे दोषों और पापों के कारण परमेश्वर की दृष्टी में स्वीकार नहीं किए जाते हैं, लेकिन परमेश्वर हमें बताता है कि उसके पुत्र, यीशु ने हमारे लिए जो कुछ किया है, उसके कारण हमें प्रिय करके स्वीकार किया जाता है।
यदि आज आपने किसी अपराध या दोषभावना का सामना किया है या कर रहे हैं, तो याद रखें कि परमेश्वर हमें कभी याद नहीं दिलाता कि हम कितने निचे गिर गए हैं। वह हमेशा हमें याद दिलाता है कि हम कितने ऊपर उठ सकते हैं। वह हमें याद दिलाता है कि हमने कितनी जीत हासिल की है, हम उसकी दृष्टि में कितने कीमती हैं, और वह हमसे कितना प्रेम करता है।
जितना अधिक आप परमेश्वर के साथ चलते हैं, उतना ही आप उस व्यक्ति के बारे में बेहतर महसूस करते हैं जैसा होने के लिए उसने आपको बनाया है।