
क्योंकि मैं निश्चय जानता हूँ कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएँ, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ्य, न ऊँचाई, न गहराई, और न कोई और सृष्टि में परमेश्वर के प्रेम से जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी। -रोमियों 8:38-39
मैं पूरे सप्ताह अंत की सभा में परमेश्वर के प्रेम के विषय में बात कर सकती हूँ। मैं उन विभिन्न मार्गों का वर्णन कर सकती हूँ जिससे परमेश्वर ने हमारे लिए प्रमाणित किया है। परन्तु उसके प्रेम को प्राप्त करने के लिए मैं किसी पर दबाव नहीं डाल सकती। यह एक व्यक्तिगत चुनाव है जिसे प्रत्येक व्यक्ति को करना है। यहाँ तक कि जो हम गलतियाँ करते हैं और जानते हैं कि हम परमेश्वर के प्रेम के हकदार नहीं हैं। तब भी हमें उसके प्रेम को प्राप्त करना चाहिए कि पूर्णता का आनंद जो हो वह चाहता है कि हमारे पास हो।
परमेश्वर का प्रेम आपको विजय में ले चलेगा जब नरक की सभी शक्तियाँ और अधिकार आपके विरूद्ध दिखाई पड़ती हैं। परमेश्वर का प्रेम आपको जीवन की आँधियों में होकर ले चलेगा और एक ऐसे शांत स्थान में ले चलेगा। परन्तु आप कभी भी एक विजयी से बढ़कर नहीं होंगे (रोमियों 8:37) यदि आपको यह प्रकाशन नहीं प्राप्त होगा कि आप कितने अधिक परमेश्वर के द्वारा प्रेम किए जाते हैं।
हमें जानना है कि परमेश्वर हम से प्रेम करता हैं ऐसे समय में भी जब हम गलतियाँ करते और पराजित होते हैं। उसका प्रेम उस दिन के लिए ही नहीं है जब हम सोचते हैं कि हमने आज अच्छा किया है। हमें उसके प्रेम के प्रति भरोसेमन्द होना है, विशेष करके जब हम परीक्षा में पड़ते हैं और शैतान हम पर आरोप लगाते हुए हँसता है। जैसे, “हाँ, अवश्य ही तुमने कुछ गलत किया होगा।”
जब दोष लगानेवाला आता है हमें अवश्य जानना है कि परमेश्वर हमसे प्रेम करता है। चाहे हम कुछ गलतियाँ करते भी हैं, चाहे हम शैतान के लिए प्रवेश करने हेतु एक द्वार खोलते हैं, चाहे हम अज्ञानता का अभिनय करें परमेश्वर फिर भी हम से प्रेम करता है। परमेश्वर हमारे पक्ष में है (रोमियों 8:28 देखें) और वह हमें दिखाने जा रहा है जो हमें करने की ज़रूरत है। उन परेशानियों से बाहर निकलने के लिए जिसमें हमने अपने आपको डाल दिया है।