इसलिए प्रभु में और उसके शक्ति के प्रभाव में बलवन्त बनो। – इफिसियों 6:10
क्या आप जानते हैं कि जब आप परमेश्वर के साथ समय व्यतीत करते हैं क्या होता है? आप दाऊद के समान व्यवहार करते हैं जब उसने गोलियत का सामना किया। आप एक निर्णय लेना प्रारंभ करते हैं, शत्रु से कहते हैं, ‘‘तुम अपने आपको क्या समझते हो कि तुम जीवित परमेश्वर की सेना को ललकारोगे?” (1 शमूएल 17:26 देखिए) मुझे और आपको अपने शत्रु शैतान से नहीं डरना है।
जब एक भय की आत्मा आती है पत्तियों के समान काँपने के बजाए हमें शैर के समान साहसी बनना है। शैतान उन लोगों के विरोध में आता है जो उसके राज्य को नुकसान पहुँचा रहे हैं, वे जो परमेश्वर के लिए कुछ कर रहे हैं। हम शैतान का सामना कैसे करेंगे? परमेश्वर के सारे हथियारों को पहन लेने, और विश्वास की झीलम को पहन लेने के द्वारा। जिसके द्वारा हम उसके सभी आग के तीर को बुझा सकते हैं, और आत्मा के तलवार को ले लेने के द्वारा। (इफिसियों 6:13-17 देखिए) परन्तु वे सभी अस्त्र और शस्त्र प्रभु के साथ संगति करने से आते हैं। इफिसियों 6:10 वास्तव में परमेश्वर के हथियारों पर यह कहते हुए बातचीत करता है, ‘‘परमेश्वर में बलवन्त बनो (उसके साथ अपनी संगति के द्वारा बलवान बनो)।” मेरे लिए यह कहता है, ‘‘परमेश्वर के साथ संगति के द्वारा बलवान बनो।” तब पद 11 कहता है ‘‘परमेश्वर के सारे हथियारों को बाँध लो।” संगति में बलवान बनने के बाद ही हम उचित रूप से हथियारों को बाँध सकते हैं।