
क्योंकि प्रभु यहोवा की यह वाणी है कि इस्राएल का सारा घराना, अपने देश में मेरे पवित्र पर्वत पर, इस्राएल के ऊँचे पर्वत पर, सब मेरी उपासना करेंगे; …और तुम्हारी सब पवित्र की हुई वस्तुएँ तुम से लिया करूँगा।- यहेजकेल 20:40
यहेजकेल 20:40 कहता है कि हमें प्रभु के पास अपना पहला फल लाना चाहिए, जो हमारे बलिदानों का सबसे उत्तम चुनाव हो। सिद्ध शांति में रहने के लिए हमें परमेश्वर को अपने समय और अपने वस्तुओं का श्रेष्ठ भाग देना चाहिए। हमें अपने साथ ईमानदार अवश्य होना चाहिए कि हमारी प्राथमिक्ताएँ क्या हैं और परमेश्वर को प्रथम स्थान पर रखने के लिए परिवर्तन लाना प्रारंभ करना चाहिए। परमेश्वर को अपनी बची हुई वस्तुएँ मत दीजिए; आपके दिन का हिस्सा उसे मत दीजिए जब आप थके हुए हों और आप सीधी रीति से सोच नहीं सकते या अपनी आँखें बह्मुश्किल खोल पाते हों। अपने ध्यान का पहला फल उसे दीजिए। अपने दिन का श्रेष्ठतम भाग उसे दीजिए। वही स्थान है जहाँ पर आपकी सच्ची प्राथमिकताएँ पाई जाएगी।
जो कुछ आप करते हैं उसमें परमेश्वर को अपनी प्राथमिकता होने की आवश्यकता है। वस्त्रधारण को लेकर अपने समय सारणी को बनाने तक आप परमेश्वर से उसके ज्ञान को माँग सकते है जिससे उसकी महिमा हो। जो कुछ आप करते हैं उसमें आप अपने समय को परमेश्वर के साथ सम्मिलित कर सकते हैं और इस बिन्दु तक ऐसा कर सकते हैं कि आप बिना रूके या निरन्तर प्रार्थना कर सकते हैं (अपने रास्ते में दिन भर प्रार्थना कीजिए)। जब आप उसकी उपस्थिती के प्रति सचेत होते हैं, तो यह सम्भव नहीं है कि आप परमेश्वर को अलग करें या पवित्र बातों से संसारिक कार्यों को अलग रखें। प्रत्येक साधारण घटना पवित्र बनती है, क्योंकि वह उसमें शामिल है।
अपने दिन को व्यतीत करते हुए परमेश्वर से बात कीजिए, उससे अपनी अगुवाई माँगे, उससे आपके चुनावों में जो आप करते हैं उसकी अगुवाई माँगे और उसे आपको सामर्थ्य देने के लिए कहिए उन कार्यों के लिए जो आपको करने की ज़रूरत है। जब आप इस बात को अंगीकार करते हैं कि परमेश्वर हमेशा आपके साथ है आप उसे प्रत्येक कार्यों में प्रथम स्थान पर रखते हैं जो आप करते हैं और वह आपको एक सीधा मार्ग दिखाएगा जो आपको शांति की ओर ले जाएगा। क्षण प्रतिक्षण पवित्र आत्मा की अगुवाई का अनुकरण करना आपको प्रतिदिन आपके जीवन का आनंद उठाने का कारण बनेगा।