मैं ने जीवन और मरण, आशीष और शाप को तुम्हारे आगे रखा है; इसलिये तू जीवन ही को अपना ले। (व्यवस्थाविवरण 30:19)
यूहन्ना 16:8 में, यीशु ने कहा कि पवित्र आत्मा संसार को पाप और धार्मिकता के बारे में “कायल और निरूत्तर” करेगा। उसने पवित्र आत्मा के दोषी ठहराने के लिए आने के बारे में कुछ नहीं कहा। उसने कहा वह “पाप और धार्मिकता के बारे…प्रदर्शन को लाता” है।
पवित्र आत्मा पाप के परिणाम और धार्मिकता के परिणामों को प्रकट करता है ताकि लोग समझ जाएं कि किस मार्ग पर चलना है। वह गलत और सही के बीच में, आशीषों और शाप के बीच, जीवन और मृत्यु के बीच फर्क को स्पष्ट करता है ताकि लोग परमेश्वर से जीवन को चुनने में सहायता माँग सके।
लोग जो पाप में रहते है उनके पास दयनीय, लाचार जीवन होता है। मैं कभी-कभार ऐसे लोगों के पास जाती हूँ जिनको मैंने सालों पहले देखा था पर कुछ समय से नहीं देखा था। इन में से कुछ लोग प्रभु के लिए जीवन व्यतीत नहीं कर रहे थे और असभ्य, ऊबड़-खाबड़ जीवनशैली जो उन्होंने चुनी थी वो उन पर भारी हो गई थी। खट्टे, उदास, लाचार चुनाव जो उन्होंने किए उन्होंने उन्हें उदास और जितनी उनकी उम्र थी उससे ज्यादा बुढ़े बना दिया था। वह अक्सर कड़वाहट के साथ भरे अप्रसन्न, नकारात्मक, और असंतुष्ट व्यक्ति थे क्योंकि उनका जीवन अच्छा नहीं रहा था। वह यह पहचानने में असफल हो गए कि उनका जीवन उन बुरे चुनावों का सीधा परिणाम था जो उन्होंने किए थे।
पाप का परिणाम हर जगह देखा जा सकता है। वह जो परमेश्वर की सेवा और उसे प्रेम करते और वह जो नहीं करते उनके बीच अन्तर स्पष्ट है। परमेश्वर सही चुनाव करने के लिए जो हमें उस जीवन में ले जाएंगे जैसा उसने चाहा था कि हम आनन्द लें हम से विनती करता है। हम में से प्रत्येक के सामने दो मार्ग है, एक चौड़ा मार्ग जो पाप और विनाश में हमें ले जाता है और एक सकरा मार्ग जो जीवन में ले जाता है (देखें मत्ती 7:13-14)। मैं आपको आज और हर दिन जीवन को चुनने के लिए उत्साहित करती हूँ।
आज आप के लिए परमेश्वर का वचनः अच्छे चुनाव एक अच्छा जीवन बन जाते है।