हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर, और पिता का धन्यवाद हो, जो दया [तरस ओर हमदर्दी] का पिता, और सब प्रकार की शान्ति [वह सोत्र है] का परमेश्वर है। (2 कुरिन्थियों 1:3)
मानवीय प्राणी होते हुए, हम सभी स्वीकार किए जाना चाहते है, नाकि तिरस्कार किए जाना। मैं निर्जन एकाकी अहसास और भावनात्मक दर्द से नफरत करती हूँ जो कि तिरस्कार करने से आती है, फिर भी मैंने कई सालों तक इसका अनुभव किया था, यह ना जानते कि मैं इसके बारे में कुछ कर सकती हूँ। परमेश्वर का धन्यवाद, वह सब बदल गया है!
कई साल पहले, कुछ हुआ जो उन पुराने तिरस्कार के दर्दों को वापस ले आया था। मैं उसके पास गई जिसने मेरे बचपन में मुझे बहुत ज्यादा दुख पहुँचाया था। क्षमा की बजाय, मुझे किसी उस बात का दोष दिया गया जो मेरी गलती नहीं थी और मैंने एक साफ संदेश को प्राप्त किया कि इस व्यक्ति की मुझ में कोई भी रूचि नहीं थी। उस समय मैं एक दम से एक कोने में चली जाना और मेरे जख्मों पर मरहम लाना चाहती थी।
मेरी भावनाओं में दर्द तीव्र था। मैं छिपना चाहती और स्वयं के लिए दुख महसूस करना चाहती थी, पर परमेश्वर का धन्यवाद कि मैं जानती हूँ कि कैसे भिन्न तरह से जवाब देना है। मैंने एकदम से पवित्र आत्मा की तसल्ली को परमेश्वर से माँगा। मैंने उसे मेरी जख्मीं भावनाओं को चंगा करने और जैसे यीशु इस स्थिति में बर्ताव करेगा वैसा ही बर्ताव करने के मुझे योग्य बनाने के लिए कहा। जब मैं निरंतर परमेश्वर पर निर्भर रही, मैंने स्वयं पर एक गर्माहट को महसूस किया, ऐसा जैसा कि कोई तेल मेरे जख्मों पर उडेंला जा रहा था।
मैंने परमेश्वर से उस व्यक्ति को क्षमा करने के लिए कहा जिसने मुझे दुख पहुँचाया था, और वह मेरे मन में इस कहावत को लेकर आया, “दुखी लोग ही दूसरों को दुखी करते है।” उसका घनिष्ठ व्यक्तिगत जवाब मेरी जख्मी आत्मा के लिए चंगाई को लाया।
आज के लिए वचन हमें याद कराता है कि सारी तसल्ली, सांत्वना, और उत्साह का स्रोत परमेश्वर है। कृपा करके, एक घनिष्ठ संबंध विकसित करने और कायम रखने के लिए सब जो आप कर सकते है वह करें क्योंकि वही वह प्रसंग है जिस में आप उसकी आवाज को सुनने के योग्य, उसकी तसल्ली और चंगाई को प्राप्त करने के योग्य होंगे, और उसके उत्साह और देखभाल के द्वारा बल पाएंगे।
आज आप के लिए परमेश्वर का वचनः परमेश्वर जानता है कि तसल्ली पाना कितना महत्वपूर्ण होता है; वह वही करने के लिए अपने पवित्र आत्मा को आपके लिए भेजता है।